तीखी कलम से

मंगलवार, 22 मार्च 2022

सुख़नवरों का मिज़ाज है ये वो दर्दे उल्फ़त लिखा करेंगे

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यूँ आंधियों से मुहब्बतों के चराग़ जब तक बुझा करेंगे ।

सुख़नवरों का मिज़ाज है ये वो दर्दे उल्फ़त लिखा करेंगे ।।1


किसी तसव्वुर में डूब के वो अदब की रस्में अदा करेंगे ।

ग़ज़ल जो छू कर गयी है  उनको उसी के मिसरे पढ़ा करेंगे ।।2


अजीब मंज़र है ज़ुल्म करके अदा से हमसे ये पूछते वो ।

जो एक मुद्दत से बह रहे हैं वो अश्क़ कब तक बहा करेंगे ।।3


लहर से साहिल का सिलसिला है ,न रेत पे लिखिए नाम उनका ।

रक़ीब जैसे जो हर्फ़  होंगे वो हर्फ़ अक्सर मिटा करेंगे ।।4


न जाने किस्मत मिली थी कैसी , तमाम खुशियां हुईं हैं रुख़सत ।।

ख़राब है गर मेरा मुक़द्दर , ज़माने वाले जफ़ा करेंगे ।।5


ख़ुदा की रहमत पे कर भरोसा ये वक्त बदलेगा जब भी तेरा।

है बेवफ़ाई का खौफ़ जिनसे वही अदू तो वफ़ा करेंगे ।।6


अभी बगावत शुरू हुई है , अभी तो है इंतक़ाम बाकी ।

न सोचना तुम यूँ उम्र भर हम सितम तुम्हारे सहा करेंगे ।।7


          --नवीन

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