तीखी कलम से

मंगलवार, 22 मार्च 2022

हालेदिल आपका पता है मुझे

 2122 1212 22

तज़रिबा  इक  नया  मिला  है  मुझे ।

बेवफ़ा  कह  के  वो  गया  है  मुझे ।।


तीरगी       बेहिसाब       है     यारो ।

रोशनी   का   नहीं   पता   है  मुझे ।।


ज़िक्र  करिए  न  अब   मुहब्बत का ।

हालेदिल  आपका  पता   है   मुझे ।।


कुछ  तो   मेरा  भी  फ़र्ज़  बनता  है ।

कह  दिया  उसने  जब ख़ुदा है मुझे ।।


मामला   इश्क़   का   ये  लगता  है ।

छुप  छुपाकर  वो   देखता  है  मुझे ।।


ज़ख्म जिसने दिया था कल मुझको ।

दे   रहा  आज   वो   दवा  है  मुझे ।।


दाग़   सूरत  के  मिट  भी  सकते  हैं । 

आइना   देख   ये    लगा   है  मुझे ।।


वो    न    समझेगा   बेबसी  मेरी ।

जिसने अब तक नहीं पढ़ा है मुझे ।।


ज़ीस्त  कायम  है  बस उमीदों  पर ।

उनसे  मिलने  का  आसरा  है  मुझे ।।


     - नवीन

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