तीखी कलम से

मंगलवार, 22 मार्च 2022

दिल मे जब सूरत बसा ली जाएगी

 2122  2122  212

दुश्मनी  कुछ  यूँ  निकाली  जाएगी ।

बेसबब   इज्ज़त   उछाली  जाएगी ।।


जब तलक  जलते  रहेंगे  दिल  यहाँ ।

आग  उन पर  और  डाली  जाएगी ।।


ख़ामुशी    को    तोड़ने   के   वास्ते ।

ये  ग़ज़ल  बनकर  सवाली  जाएगी ।।


तब  रिहाई  इश्क़  से  मुमकिन  कहाँ ।

दिल मे जब सूरत बसा  ली जाएगी ।।


जिंदगी  खुलकर  बता  अपनी  रज़ा ।

तू   नए  सांचे   में   ढाली   जाएगी ।।


जो है  तेरा  सब  यहीं  रह  जायेगा ।

इस जमीं  से  रूह  खाली  जाएगी ।।


आ   रहा   है  नेता   कोई   गांव   में ।

एक  नफ़रत  और   पाली   जाएगी ।।


थालियां सब   छिन   गईं  इस फेर  में ।

मुझसे पहले  उनकी  थाली जाएगी ।।


      -- डॉ नवीन मणि त्रिपाठी

2 टिप्‍पणियां:

  1. वाह! वाह !

    जिंदगी खुलकर बता अपनी रज़ा ।
    तू नए सांचे में ढाली जाएगी ।

    अंदाज़-ए-बयां बहुत पसंद आया !

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  2. खूबसूरतग्ज़ल और अनमोल पंक्तियाँ

    जो है तेरा सब यहीं रह जायेगा ।
    इस जमीं से रूह खाली जाएगी ।।
    बहुत ही भावपूर्ण अभिव्यक्ति प्रिय नवीन जी।हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं आपको।

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