तीखी कलम से

मंगलवार, 5 अगस्त 2025

दुश्मन से भी हाथ मिलाया जा सकता है

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एक  शिगूफ़ा  फ़िर  से  लाया जा सकता है ।

कोई  झूठा  ख़्वाब  दिखाया जा  सकता  है ।। 1


उनके     वादे    पूरे    होंगे,   नामुमकिन   है ।

पर कुछ दिन तक दिल बहलाया जा सकता है ।।2 


काठ की हांडी चढ़ती नहीं दुबारा लेकिन ।

ख़ास बताकर मन भरमाया जा सकता है ।।3


झूठ पे ये दुनिया पीटेगी ताली -थाली ।

सच पर सौ इल्ज़ाम लगाया जा सकता है ।।4


नीयत गर हो साफ़ , इरादे  सच्चे  हों  तो ।

दुश्मन से भी हाथ मिलाया जा सकता है ।।5


बेशक़ तोपें जला न पाई हैं देशों को ।

नफ़रत से हर मुल्क जलाया जा सकता है ।।6


अम्न की चर्चा छोड़ के चर्चा इस पर है अब ।

किसका कितना ख़ून बहाया जा सकता है ।।7


         -- नवीन मणि त्रिपाठी

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