तीखी कलम से

रविवार, 13 नवंबर 2011

बाबा कै बात सुनौ सरऊ (हास्य-व्यंग्य रचना क्षेत्रीय अवधी भाषा)

 नवीन मणि त्रिपाठी
G1 /28 अरमापुर इस्टेट कानपुर
फोन -- 09839626686

बाबा कै बात सुनौ सरऊ |
फिर आपन बात कहौ सरऊ ||

गन्ना कै दाम बढ़ा नाही |
गेहू धनौ माँ ,कछु नाही ||
दलहन तिलहन सेवा मागै|
मेहनत कै नीलगाय चापै ||
सूखा दाहा , हमका मारै |
डीजल तौ आसमान भागै ||
खेती.., बूते बाहर होईगै |
करजा से कमर तौ टूटिह गै||

महगाई थरिया ली भागी |
कटहर का ताकि रह्यौ सरऊ ||
बाबा कै बात सुनौ सरऊ |
फिर आपन बात कहौ सरऊ ||

डिगरी कै बदला रंग रूप |
खाली कालेज मा सीट खूब ||
बी. यड. ,बी .ए. औरौ ऍम .ए .|
बी .टेक ,ऍम .सी .ए ,ऍम .बी .ए .||
जे का देखौ सब काइन लेत|
रुपिया पर डिगरी लइन लेत ||
नौकरी कहाँ रहि गै देखौ |
बापै कै पईसा तू फूकौ||

समझावै पर तू ना मान्यौ |
अब डिगरी चाटि रह्यौ सरऊ ||
बाबा कै बात सुनौ सरऊ |
फिर आपन बात कहौ सरऊ ||


सत्याग्रह खातिर खूब लड़यौ |
अन्ना के खातिर खूब डटयौ ||
रामदेव के अनसन मा बैठ्यो |
भ्रष्टन कै खूब बिरोध किह्यो ||
भरपूर दुश्मनी मोल लिह्यो |
सब के नजरन मा आई गयो ||
सब आपन लाभ गवाई गयो |
दुई चारि मुक़दमा लाद लिह्यो ||

भ्रष्टन के राज मा का करिहौ |
अब दइ कै घूस लड़ो सरऊ ||
बाबा कै बात सुनौ सरऊ |
फिर आपन बात कहौ सरऊ ||



तू फरजी कारोबारी हौ |
तू बेटवा कै व्यापारी हौ ||
घर मा चूना करवाई लिह्यो |
लईका कै डिगरी लाई दिह्यो ||
सोफा गद्दा बिछवाई दिह्यो |
भौकाल खूब दिखलाई दिह्यो ||
समधी से कैस गिनाई लिह्यो |
नौकरी कै आस देखाई दिह्यो ||

नैनो दहेज़ मा पावा हौ |
पेटरौल कै दाम भरौ सरऊ ||
बाबा कै बात सुनौ सरऊ |
फिर आपन बात कहौ सरऊ ||


जे के भुरकी भर प्इसा है |
तइ के कूड़ा भर नकसा है ||
बिटिया केतनो भी पढ़ी होय |
कामे काजे मा कढ़ी होय ||
वै तनिक रियायत ना करिहैं |
जोंकी घत तुमका वै चुसिहैं||
छह सात लाख ले बै करिहैं |
घोडा गाडी , ऊपर मगिहें||

दानव दहेज़ कै आवा है |
घर बेचि बियाह करौ सरऊ ||
बाबा कै बात सुनौ सरऊ |
फिर आपन बात कहौ सरऊ ||


बाइलनटाइन तौ याद रहा |
राखी ना तुमका धियान रहा ||
साली कै सूट खरीद रह्यौ |
बहिनी से वादा तोडि रह्यो ||
सासू ,. माँ , ससुर बाप होइगे |
ई जनम तोहार पाप होइगे ||
अब ठगा बाप देखै तुमका |
ई पूत रहा ना अब घर का ||


मेहरी कै साड़ी लई आयौ |
माई का भूलि गयौ सरऊ ??
बाबा कै बात सुनौ सरऊ |
फिर आपन बात कहौ सरऊ ||


दुलहिन घर मा तू लइ आयौ |
खरचा कै जुगत बना लायौ ||
नौकरी देश मा ना पायौ |
तब अरब कै फारम लइ आयौ ||
ई नयी बहुरिया छोडि गयौ |
तू अरब कै राह सिधारि गयौ ||
समझावत तुमका हारि गवा |
पर तुमका भूत सवार भवा ||

मेहरारू घर से भागि गयी |
तू अरब कमात रहौ सरऊ ||
बाबा कै बात सुनौ सरऊ |
फिर आपन बात कहौ सरऊ ||


नवीन मणि त्रिपाठी
जी १ /२८ अरमा पुर इस्टेट
कानपुर --फोन०९८३९६२६६८६



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