तीखी कलम से

शुक्रवार, 11 सितंबर 2015

             एक सन्देश  आरक्षण समर्थको के नाम 

आज का सवर्ण बहुत दीन हीन अवस्था में जी रहा है । आज उसके पास न रहने को घर न पहनने को वस्त्र 
और दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं है । वह रिक्शा चलाता है । जिन्हें दलित कहते हैं उन्हें रिक्शे पर घुमाता है । वह जिन्हें दलित कहते हैं उनके घर नौकर  की तरह काम करता है । सवर्णों के घर की महिलायें
ब्यूटी पार्लर चलकर जिन्हें दलित कहते हैं उनके घर की औरतों को सजाती रहती हैं सिर्फ पेट पालने के लिए । इस तरह के हजारों उदहारण आपके समाज में बहुत सुगमता के साथ देखने को मिल जाएंगे । उसके बाद भी जाति के नाम पर दलितों को आरक्षण और सवर्णों के बच्चों के बच्चों के हाथ में कटोरा यह कहाँ 
का न्याय है । मेरा सिर्फ नाम के दलित भाइयो से अनुरोध है सुरक्षित भारतीय लोकतन्त्र के लिए वह भी आरक्षण विरोध में शामिल होकर राष्ट्र प्रेम का परिचय दें ।

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