तीखी कलम से

बुधवार, 7 अक्टूबर 2015

एक अल्बम के लिए प्ले बैक सांग


रेल जवानी

छुक छुक छुक ।

रुक बाबा रुक बाबा

रुक  रुक  रुक ।।

बाली उमरिया सिगनल न दे

कैसे रहूंगी चुप चुप चुप ।।

रेल जवानी .....
रुक बाबा ......

ओ माय डैड

ओ माय मॉम ।

माय एज बाउंडेशन

वैरी  राँग ।।

मेरी जुबाँ पे उसका नाम ।

आई डोंट नो राइट

आई डोंट नो राँग ।।


आज बाउंड्री कूद मिलूंगी

लव न होगा छुप छुप ।।

रेल जवानी .......
रुक बाबा ........


माय बॉय फ्रेंड इज

ऑन व्हाट्स एप

 हम फ्रेंड्स से करते है

गप शप।

हमे घूर घूर के

देखे सब

प्रोफाइल करती

दिल किडनेप ।

रिक्वेस्ट हजारो आये है

देखो मेरी

फेस बुक कूक बुक ।।

रेल जवानी छुक छुक छुक
रुक बाबा रुक बाबा रुक रुक रुक ।।


हेल्लो हेल्लो माई  पेरेंट्स ।

यस यस

आई हैव नो पेशेंस ।

खो गया मेरा

कॉमन सेन्स ।

मेरे दिल का करो

सब मेंटिनेंस ।

जब  भी  देखे आशिक हमको

गयी नजरिया

झुक झुक झुक ।।


रेल जवानी .......
रुक बाबा रुक बाबा......


     --नवीन मणि त्रिपाठी

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