तीखी कलम से

मेरे बारे में

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जी हाँ मैं आयुध निर्माणी कानपुर रक्षा मंत्रालय में तकनीकी सेवार्थ कार्यरत हूँ| मूल रूप से मैं ग्राम पैकोलिया थाना, जनपद बस्ती उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ| मेरी पूजनीया माता जी श्रीमती शारदा त्रिपाठी और पूजनीय पिता जी श्री वेद मणि त्रिपाठी सरकारी प्रतिष्ठान में कार्यरत हैं| उनका पूर्ण स्नेह व आशीर्वाद मुझे प्राप्त है|मेरे परिवार में साहित्य सृजन का कार्य पीढ़ियों से होता आ रहा है| बाबा जी स्वर्गीय श्री रामदास त्रिपाठी छंद, दोहा, कवित्त के श्रेष्ठ रचनाकार रहे हैं| ९० वर्ष की अवस्था में भी उन्होंने कई परिष्कृत रचनाएँ समाज को प्रदान की हैं| चाचा जी श्री योगेन्द्र मणि त्रिपाठी एक ख्यातिप्राप्त रचनाकार हैं| उनके छंद गीत मुक्तक व लेख में भावनाओं की अद्भुद अंतरंगता का बोध होता है| पिता जी भी एक शिक्षक होने के साथ साथ चर्चित रचनाकार हैं| माता जी को भी एक कवित्री के रूप में देखता आ रहा हूँ| पूरा परिवार हिन्दी साहित्य से जुड़ा हुआ है|इसी परिवार का एक छोटा सा पौधा हूँ| व्यंग, मुक्तक, छंद, गीत-ग़ज़ल व कहानियां लिखता हूँ| कुछ पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होता रहता हूँ| कवि सम्मेलन के अतिरिक्त काव्य व सहित्यिक मंचों पर अपने जीवन के खट्टे-मीठे अनुभवों को आप तक पहँचाने का प्रयास करता रहा हूँ| आपके स्नेह, प्यार का प्रबल आकांक्षी हूँ| विश्वास है आपका प्यार मुझे अवश्य मिलेगा| -नवीन

बुधवार, 7 अक्टूबर 2015

एक अल्बम के लिए प्ले बैक सांग


रेल जवानी

छुक छुक छुक ।

रुक बाबा रुक बाबा

रुक  रुक  रुक ।।

बाली उमरिया सिगनल न दे

कैसे रहूंगी चुप चुप चुप ।।

रेल जवानी .....
रुक बाबा ......

ओ माय डैड

ओ माय मॉम ।

माय एज बाउंडेशन

वैरी  राँग ।।

मेरी जुबाँ पे उसका नाम ।

आई डोंट नो राइट

आई डोंट नो राँग ।।


आज बाउंड्री कूद मिलूंगी

लव न होगा छुप छुप ।।

रेल जवानी .......
रुक बाबा ........


माय बॉय फ्रेंड इज

ऑन व्हाट्स एप

 हम फ्रेंड्स से करते है

गप शप।

हमे घूर घूर के

देखे सब

प्रोफाइल करती

दिल किडनेप ।

रिक्वेस्ट हजारो आये है

देखो मेरी

फेस बुक कूक बुक ।।

रेल जवानी छुक छुक छुक
रुक बाबा रुक बाबा रुक रुक रुक ।।


हेल्लो हेल्लो माई  पेरेंट्स ।

यस यस

आई हैव नो पेशेंस ।

खो गया मेरा

कॉमन सेन्स ।

मेरे दिल का करो

सब मेंटिनेंस ।

जब  भी  देखे आशिक हमको

गयी नजरिया

झुक झुक झुक ।।


रेल जवानी .......
रुक बाबा रुक बाबा......


     --नवीन मणि त्रिपाठी

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