212 1222 212 1222
इस तरह मुहब्बत में दिल लुटा के चलते हो ।
कह रहा जमाना ये तुम भी कितने सस्ते हो ।।
मैंकदा है वो चहरा रिन्द भी नशे में हैं ।
बेहिसाब पीकर तुम रात भर सँभलते हो ।।
टूट कर मैं बिखरा हूँ अपने आशियाने में ।
क्या गिला है अब मुझसे रंग क्यूँ बदलते हो ।।
दिल चुरा लिया तुमने हुस्न की नुमाइस में ।
बेनकाब होकर क्यूँ घर से तुम निकलते हो ।।
तिश्नगी जलाती है जब भी तुझको देखा है ।।
तुम बड़े सलीके से रूह में उतरते हो ।।
मिल गया तुम्हारा खत पढ़ लिया फ़साना भी ।
आग सी जवानी में बेसबब सुलगते हो ।।
कुछ ग़ज़ल का जादू है कुछ अदा भी कमसिन है ।
देखता हूँ कुछ दिन से इश्क में संवरते हो ।।
आसुओं का रिश्ता है अब तेरी मुहब्बत से ।
जानकर हकीकत को दिल से क्यों मुकरते हो ।।
इस तरह जवानी पर नाज़ क्या करोगे तुम ।
तुमतो उसकी सूरत पे मोम सा पिघलते हो ।।
तुम छुपा नहीं पाए दर्द वो जुदाई का ।
आंख सब बताती है किस तरह सिसकते हो ।।