तीखी कलम से

मेरे बारे में

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जी हाँ मैं आयुध निर्माणी कानपुर रक्षा मंत्रालय में तकनीकी सेवार्थ कार्यरत हूँ| मूल रूप से मैं ग्राम पैकोलिया थाना, जनपद बस्ती उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ| मेरी पूजनीया माता जी श्रीमती शारदा त्रिपाठी और पूजनीय पिता जी श्री वेद मणि त्रिपाठी सरकारी प्रतिष्ठान में कार्यरत हैं| उनका पूर्ण स्नेह व आशीर्वाद मुझे प्राप्त है|मेरे परिवार में साहित्य सृजन का कार्य पीढ़ियों से होता आ रहा है| बाबा जी स्वर्गीय श्री रामदास त्रिपाठी छंद, दोहा, कवित्त के श्रेष्ठ रचनाकार रहे हैं| ९० वर्ष की अवस्था में भी उन्होंने कई परिष्कृत रचनाएँ समाज को प्रदान की हैं| चाचा जी श्री योगेन्द्र मणि त्रिपाठी एक ख्यातिप्राप्त रचनाकार हैं| उनके छंद गीत मुक्तक व लेख में भावनाओं की अद्भुद अंतरंगता का बोध होता है| पिता जी भी एक शिक्षक होने के साथ साथ चर्चित रचनाकार हैं| माता जी को भी एक कवित्री के रूप में देखता आ रहा हूँ| पूरा परिवार हिन्दी साहित्य से जुड़ा हुआ है|इसी परिवार का एक छोटा सा पौधा हूँ| व्यंग, मुक्तक, छंद, गीत-ग़ज़ल व कहानियां लिखता हूँ| कुछ पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होता रहता हूँ| कवि सम्मेलन के अतिरिक्त काव्य व सहित्यिक मंचों पर अपने जीवन के खट्टे-मीठे अनुभवों को आप तक पहँचाने का प्रयास करता रहा हूँ| आपके स्नेह, प्यार का प्रबल आकांक्षी हूँ| विश्वास है आपका प्यार मुझे अवश्य मिलेगा| -नवीन

रविवार, 17 नवंबर 2013

"वो कत्ले आम सुबहो -शाम किया करते हैं "

अदा  ए  जुल्फ  से  अंजाम  दिया करते हैं |
वो कत्ले आम सुबहो -शाम किया करते हैं ||


झुकी  निगाह  उठाई  तो  जल जला  आया |
वो  ज़माने  से  इंतकाम   लिया  करते  हैं ||


कली  गुलाब  की  शरमाई  उनकी रंगत से |
शबाब  ए  हुश्न  का  पैगाम  दिया  करते हैं ||


सुर्ख लब  पर  हैं तबस्सुम के खरीदार बहुत |
वो  मोहब्बत  को भी नीलाम किया करते है ||


मैं तो साहिल था लहर आयी और छू के गयी |
याद  हम  भी  वही  मुकाम  किया  करते  हैं ||


बेवफा  तुझको , मुहब्बत का सलीका ही नहीं |
तमाम  उम्र , ये   इल्जाम   लिया  करते  हैं ||


जब  दबे पांव तू आयी  उसी महुआ के  तले |
उसी शजर  से  तेरा   नाम  लिया   करते  हैं ||

शनिवार, 9 नवंबर 2013

"मृग मरीचिका"


 
आखिर क्यों हो जाते हो आशक्त ?
तुम्हारा कौन है ?
आत्मीयता मौन है |
हर और मिथ्या आडम्बर ,
माया का विशाल अम्बर |
पत्नी, बच्चे ,रिश्ते ,नाते ,
सबका अपना अपना स्वार्थ |
जकड़ते हुए बंधन के निहतार्थ |
समझौता बन चुका है ,
जीवन का आधार |
गौर से देखो हर ओर अंधकार |
जहाँ तुमने देखा था
अथाह शांति का जल |
क्या तुम्हें याद है ?
अपनी तपस्या का एक एक पल |
सब कुछ मृगमरीचिका के सिवा क्या निकला ?
नहीं सुलझ सका जीवन का मसला |
आखिरी समय .....
पश्चाताप की अग्नि में झुलस रहे हैं |
सिली हुई जुबान ....
कुछ कह भी नहीं पा रहे हैं |
और अब मृत्यु का वरण तो करना ही है |
तुम्हे फिर नए जीवन की ओर
चलना ही है |
काश तुमने जिंदगी को पहचाना होता !
अपने आप को जाना होता !
इस जीवन मरण के चक्र से बच सकते थे |
महा मोक्ष की राहों पर चल सकते थे |

                                         --  नवीन मणि त्रिपाठी

सोमवार, 4 नवंबर 2013

गुणवत्ता शपथ गीत

        

गुणवत्ता की महाक्रांति, संकल्प शपथ दोहरायेंगे।
हम उत्पादन के प्रहरी, उत्पादन  मान  बढ़ायेंगे।।

                   गौरवशाली  तकनीकि का, रचते हैं इतिहास  नया।
                   सदा उन्नति के पथ पर दें भारत को आयाम नया।।
                   नयी सोच व  नये सृजन से  गुणवत्ता  अपनानी  है।
                   विश्व शिखर पर भारत की,गुणवत्ता को पहुचानी है।।

हम सेना की शक्ति  ,शस्त्र  का स्वाभिमान  बढ़ायेंगे।
गुणवत्ता की महाशक्ति  का हम सम्मान दिलायेंगे।।
गुणवत्ता  की  महाक्रांति,  संकल्प  शपथ  दोहरायेंगे।
हम   उत्पादन  के  प्रहरी , उत्पादन  मान  बढ़ायेंगे।।

                   ग्राहक की संतुषिट को गर , तुमने  कभी  नहीं खोई।
                   प्रतिस्पर्धा का  साहस  कर  सके  देश फिर ना कोई।।
                   टी पी एम के साधन से गुणवत्ता लक्ष्य  साध्य होगी।
                   दुनिया भारत के पीछे चलने  का , तभी बाध्य होगी।।

हम भारत की शाख विश्व  के मानचित्र पर लायेंगे।
गुणवत्ता से अर्थ तंत्र का विकसित रूप  दिखायेंगे।।
गुणवत्ता की महाक्रांति, संकल्प  शपथ  दोहरायेंगे।
हम उत्पादन के  प्रहरी, उत्पादन  मान  बढ़ायेंगे।।

                   अनुशासित हो कार्यप्रणाली गुणवत्ता की जननी है।
                  सस्ते  और टिकाउ  की पहचान  हमारी  अपनी  है।।
                   हो नवशोध शस्त्र  की खतिर खर्च बचाना है हमको।
                   आयुध निर्माणी का झण्डा फिर लहराना है हमको।।

सत्य और निष्ठा के संग हम  इच्छा शक्ति  बढ़ायेंगे।
गुणवत्ता  उन्नत  स्वरूप से, हिन्दुस्तान  जगायेंगे।।
गुणवत्ता  की महाक्रांति, संकल्प  शपथ  दोहरायेंगे।
हम  उत्पादन  के  प्रहरी, उत्पादन  मान   बढ़ायेंगे।।
                                          
दिनांक 3.11.2013
                                          - नवीन मणि त्रिपाठी
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