महिला आरक्षण
वह प्रतीक है,
किसी सभ्य समाज की .
वह पूजनीया है ,
भारतीयों के ताज की .
अर्धांग है,
भारतीय पुरषतत्व की .
शशांक है ,
मानवीय ममत्त्व की .
सबने देखा उसे ,
अन्तरिक्ष की सैर करते .
वायु यान उड़ाते जलयान चलाते.
गोलियां बरसाते देश पर कुर्बान होते .
हिंदुस्तान की बागडोर सँभालते .
सब कुछ बेहतर करने की क्षमता है .
फिर भी पुरुष प्रधान मानसिकता ,
चिल्ला चिल्ला कर कहती है ,
नारी का पुरषों से भला क्या समता है ?
* * * * * *
युगों युगों तक नारी को ,
कई तह पर्दों में लपेटा गया .
आपने स्वार्थ के लिए लोगों को परोसा गया .
उपभोग की बस्तु की उपमा दी गयी .
तो कहीं शोषण के मानचित्रों में .
अलंकृत की गयी .
धर्म के आडम्बर में ,
कहीं देवी तो ,तो कहीं माँ तो कहीं
बहन का सम्मान मिला .
यह सारा कपोल कल्पित कमल ,
खोखली सामाजिकता के आसपास ही खिला .
वर्षों से दबाया गया नारी जीवन को ,
शायद ...............
अब वे नहीं सहेंगी .
दृढ़ हो रहीं हैं भारतीय नारियां .
महिला आरक्षण ले के रहेंगीं .
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आज एक नर्सिंग होम में .
एक महिला आयी .
खुद को एक महिला डाक्टर को दिखाई .
डाक्टर मैडम ...
जाँच करके बताइए,
मेरे पेट में नर है या नारी ?
अगर नारी है ....... .
तो जन्म देना होगा भारी .
मुझे सिर्फ कुलदीपक चाहिए .
बंश परम्परा का द्द्योतक चाहिए .
तभी माँ के उदर से ,
निर्दोष बच्ची की बिलखती सी आवाज आयी .
माँ के फैसले से बच्ची अधिक तिलमिलाई .
ओ... मेरी ...इक्कीसवी शदी की माँ .........???
तुम तो नारी हो...... नारी की सोच ....
सिर्फ पार्लियामेंट में
बिल पास करवाने से क्या होगा ?
हमारी झोली में भी मानवता का अधिकार भर दे .
अगर पास करना है ..........
तो अपनी ही कोख में .......
महिला आरक्षण का बिल पास कर दे .
महिला आरक्षण का बिल पास कर दे .