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जी हाँ मैं आयुध निर्माणी कानपुर रक्षा मंत्रालय में तकनीकी सेवार्थ कार्यरत हूँ| मूल रूप से मैं ग्राम पैकोलिया थाना, जनपद बस्ती उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ| मेरी पूजनीया माता जी श्रीमती शारदा त्रिपाठी और पूजनीय पिता जी श्री वेद मणि त्रिपाठी सरकारी प्रतिष्ठान में कार्यरत हैं| उनका पूर्ण स्नेह व आशीर्वाद मुझे प्राप्त है|मेरे परिवार में साहित्य सृजन का कार्य पीढ़ियों से होता आ रहा है| बाबा जी स्वर्गीय श्री रामदास त्रिपाठी छंद, दोहा, कवित्त के श्रेष्ठ रचनाकार रहे हैं| ९० वर्ष की अवस्था में भी उन्होंने कई परिष्कृत रचनाएँ समाज को प्रदान की हैं| चाचा जी श्री योगेन्द्र मणि त्रिपाठी एक ख्यातिप्राप्त रचनाकार हैं| उनके छंद गीत मुक्तक व लेख में भावनाओं की अद्भुद अंतरंगता का बोध होता है| पिता जी भी एक शिक्षक होने के साथ साथ चर्चित रचनाकार हैं| माता जी को भी एक कवित्री के रूप में देखता आ रहा हूँ| पूरा परिवार हिन्दी साहित्य से जुड़ा हुआ है|इसी परिवार का एक छोटा सा पौधा हूँ| व्यंग, मुक्तक, छंद, गीत-ग़ज़ल व कहानियां लिखता हूँ| कुछ पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होता रहता हूँ| कवि सम्मेलन के अतिरिक्त काव्य व सहित्यिक मंचों पर अपने जीवन के खट्टे-मीठे अनुभवों को आप तक पहँचाने का प्रयास करता रहा हूँ| आपके स्नेह, प्यार का प्रबल आकांक्षी हूँ| विश्वास है आपका प्यार मुझे अवश्य मिलेगा| -नवीन

मंगलवार, 23 दिसंबर 2014

पाकिस्तान को सांप पालने का सबक



 
     
      पाकिस्तान के पेशावर में निर्दोष बच्चों का आत्मघाती तालिबानी आतंकवादियों ने कत्लेआम किया जिसमें 132 बच्चों की मौत सहित कुल 148 लोगो के मारे जाने की खबर ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है । पूरा विश्व इन  नृशंस हत्याओं से दहल गया है । भारत में भी इस घटना का व्यापक असर देखा गया । सोसल मीडिया में भारतीय जनता ने इसका भरपूर विरोध किया । फेस बुक और व्हाट्स एप पर  जली मोमबत्तियां इस बात की प्रबल साक्षी होकर गवाही दे रही थी की भारत और पाकिस्तान का डी एन ए सचमुच में एक ही है । हम ह्रदय से उनके गम में शामिल थे तभी लस्करे तैयबा के संस्थापक ने जहर उगला उन्होंने ये बयान दिया की "इस घटना का असल गुनाहगार मोदी है इंसा अल्लाह हम बहुत जल्द हिन्दुस्तान से बदला लेंगे।" ख़ास बात यह कि इस बीच तालिबानी आतंकियों ने इस घटना की पूरी जिम्मेदारी भी ले ली थी और आत्मघाती दस्ते में शामिल आतंकियों का चित्र भी जारी कर दिया था परन्तु हाफिज सईद की पूरी कोशिश इस बात पर थी कि इस पूरी प्रतिशोध की आग को दिल्ली पर उड़ेल दी जाए । इसमें कोई शक नहीं की पाकिस्तान पूरे विश्व को आतंक निर्यात करने वाला सबसे बड़ा देश है ।पकिस्तान में आतंकियों की फैक्ट्रियां लगी हैं जहाँ आतंकवादी पैदा किये जाते हैं । और ये आतंकवादियों का सबसे बड़ा संरक्षक देश भी है । 1980 से पाकिस्तान ने घरेलू नीति में परिवर्तन कर आतंकियों का पोषण प्रारम्भ किया इन आतंकियों का इस्तेमाल सेना ने भारत में तबाही फैलाने के लिए किया । जिहाद के नाम पर सिलसिलेवार ढंग से ये आतंकी विश्व के अनेक देशों में अलग अलग संगठन व शाखाओं के रूप में कार्य करने लगे । वर्ष 2011 में तत्कालीन अमेरिका की विदेश मंत्री हिलेरी किलिंटन ने बहुत स्पष्ट रूप से पाकिस्तानी हुक्मरानो को यह सन्देश दे दिया था कि " अपने घर के आँगन में साप पालकर यह उम्मीद नहीं करनी चाहिए की वह आपको काटेंगे ही नहीं "। तब पकिस्तान के सर पर जू ही नहीं रेंगा । वे आपनी नीतियों को जारी रखने में ही भलाई समझते रहे । आज वही साप अब पकिस्तान को डसने लगे हैं ।
    आज पूरी दुनिया की नजर पकिस्तान पर है । लोगो ने उम्मीदे पाल ली हैं शायद पकिस्तान अब पेशावर की घटना के बाद आत्म चिंतन करे और आतंकियों के प्रति अपनी नीति में भारी फेर बदल करें । लेकिन जो लक्षण अभी सामने आ रहे है उस से तो यही लगता है कि सब कुछ ढाक के तीन पात ही हैं । आज पाकिस्तान में फैले सैकड़ो आतंकी संगठनों में वही संगठन बुरा है जो पाकिस्तान को नुकसान पहुंचा रहा है बाकी सभी आतंकी संगठन पाकिस्तानी जनरलों ,सेना,आई यस आई के प्यारे हैं । यह दोहरा आत्मघाती  मापदंड इस बात का इशारा करता है कि अभी इस देश में विनाश की बहुत बड़ी लीला बाकी है ।

      तालिबानी आतंकियों   की  घोषणा कि पाकिस्तानी सेना से बदला लेने के लिए पेशावर हत्या काण्ड किया गया ढूढ़ ढूढ़ कर सैनकों के बच्चों की हत्याएं की गयी । यह क्रूरता क्यों और कहाँ से आयी ? लाजिमी हो जाता है एक नजर तालिबान में क्यों न तालिबान के इतिहास को टटोला जाए
तालिबान आंदोलन  जिसे तालिबान यातालेबान के नाम से भी जाना जाता है, एक सुन्नीइस्लामिक आधारवादी आन्दोलन है जिसकी शुरूआत 1994 में दक्षिणी अफ़ग़ानिस्तान में हुई थी। तालिबान पश्तो भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ होता है ज्ञानार्थी (छात्र)। ऐसे छात्र, जो इस्लामिक कट्टरपंथ की विचारधारा पर यकीन करते हैं। तालिबान इस्लामिक कट्टपंथी राजनीतिक आंदोलन हैं। इसकी सदस्यता पाकिस्तान तथा अफ़ग़ानिस्तान के मदरसों में पढ़ने वाले छात्रों को मिलती है। 1996 से लेकर 2001 तक अफगानिस्तान में तालिबानी शासन के दौरान मुल्ला उमर देश का सर्वोच्च धार्मिक नेता था। उसने खुद को हेड ऑफ सुप्रीम काउंसिल घोषित कर रखा था। तालेबान आन्दोलन को सिर्फ पाकिस्तान,सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात ने ही मान्यता दे रखी थी। अफगानिस्तान को पाषाणयुग में पहुँचाने के लिए तालिबान को जिम्मेदार माना जाता है।
अल कायदा और तालिबान एक सिक्के के दो पहलू बन चुके थे ।अमेरिका में आतंकवादी हमले के बाद दबाव में पाकिस्तानी सेना को इन पर आंशिक कार्यवाही करने के लिए बाध्य होंना पड़ा जिसके परिणाम स्वरुप इनके पाले हुए इन्ही सापों ने इनको डसना प्रारम्भ कर दिया है ।

        दूसरा प्रमुख संगठन लश्करे तैयबा है जिसे भारत विरोध के लिए बनाया गया है जिसका संचालक हाफिज सईद है । जिसे यू यन ओ ने अभी जानबूझ कर हाफिज साहिब के नाम से संबोधित किया था । बाद में भारत के विरोध के उपरान्त सुधार किया गया ।

        भारत के लिए हमेशा हमेशा जहर उगलने वाले कुख्यात आतंवादी हाफिज सईद के पाकिस्तानी सरकार की रहमो करम में बढ़ोत्तरी ही देखी जा रही है । उनकी रैलियो के लिए दो स्पेशल ट्रेन चलवाना उनके लिए पाक के नेक नियति का सबसे बड़ा सबूत है । आइये जान लें हाफिज की कुंडली । कम लोग जानते होंगे कि हरियाणवी गुज्जर है हाफिज सईद
जमात-उद-दावा प्रमुख हाफिज सईद हरियाणा का गुज्जर है। इसका खुलासा उसने खुद किया है। हालांकि विभाजन के वक्त वर्तमान हरियाणा पंजाब का ही हिस्सा था। लेकिन चुकिं हरियाणा बाद में पंजाब से अलग हो एक नया राज्य बना, इसलिए हाफिज सईद ने अपना मूल राज्य हरियाणा ही बताया है। कराची से छपने वाले एक अखबार रोजनामा उम्मत को दिए इँटरव्यू में हाफिज सईद ने कहा है कि विभाजन के वक्त उनका पूरा कुनबा वर्तमान हरियाणा में बसा था। उसके पिता किसान थे और वो किसान गुज्जर परिवार का था। हालांकि सईद ने हरियाणा स्थित अपने गांव और जिला का खुलासा नहीं किया है। वैसे सामान्य रुप से मुस्लिम गुज्जर ज्यादातर हरियाणा के यमुनानगर जिले में है और इससे सटे हुए यूपी के सहारनपुर जिले में भी मुस्लिम गुज्जर काफी है। सईद ने कहा है कि विभाजन के वक्त जब उसका परिवार भारत से चला तो रास्ते में हिंदुओं और सिखों की टोलियों ने उसके परिवार के 36 लोगों की हत्या की।

सईद के अनुसार विभाजन के बाद उसका परिवार पाकिस्तान के सरगोधा में बस गया जहां पर उसके परिवार के कुछ सदस्य जो पहले आ गए थे ने उनके पिता को रहने के लिए एक मिट्टी की बनी झोपड़ी दी थी। बाद में उसके परिवार को सरगोधा के पास ही स्थित एक गांव में 15 एकड़ जमीन दी, जहां से उसके परिवार के जीवन की दूसरी शुरूआत हुई। सईद ने अपने दिए इंटरव्यू में कहा है कि उसकी पढ़ाई बहावलपुर स्थित मदरसा में हुई और बाद में उसने इस्लाम और रीलिजन की पढ़ाई पंजाब यूनिवर्सिटी लाहौर से की। साथ ही दो साल के लिए इस्लाम की पढ़ाई के लिए वो सऊदी अरब भी गया जहां बब बिनबाज से उसने इस्लाम को लेकर काफी कुछ सीखा। हाफिज सईद के अनुसार विभाजन के दौरान उसका परिवार पैदल ही पाकिस्तान पहुंचा। उसके ठीक तीन महीनें बाद उसका जन्म हुआ। सईद के अनुसार उसकी मां अक्सर उसे बताती थी कि वो खुशकिस्मत है कि वो विभाजन के बाद पैदा हुआ। नहीं तो वो जन्म के साथ ही मारा जा सकता था।

सईद के अनुसार उसकी दो शादियां हुई है। पहली शादी तो परिवार की ही एक महिला से हुई थी। उससे उसके तीन बच्चे पैदा हुए। उसमें से दो बेटे फिलहाल हाफिज सईद के साथ ही है। जबकि बेटी की मौत हो गई। एक बेटा लाहौर यूनिवर्सिटी में पढ़ाता है। हाफिज सईद ने दूसरी शादि 2002 में की जो एक विधवा थी। सईद के अनुसार इस शादी का विरोध उसकी पहली पत्नी ने किया। लेकिन पहली पत्नी के बेटे ने शादी का समर्थन किया। क्योंकि जिस महिला के साथ उसने शादी वो किसी शहीद की विधवा थी। इसलिए उस परिवार को सहारा देने के लिए उसने शादी की। सईद के अनुसार लगभग इस तरह की 150 विधवा औरतों को उसके सहयोगियों ने सहारा दिया है। उसके कई सहयोगियों ने इस तरह की विधवाओं से शादी कर उन्हें सहारा दिया है। सईद के अनुसार उसने बिनबाज के ही सलाह पर इस्लाम के प्रचार के लिए कई मदरसे और एक यूनिवर्सिटी की स्थापना पाकिस्तान में की। उसका संगठन पंजाब में कम से कम पांच बड़े अस्पताल चलाता है। इस्लामाबाद और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आए भूकंप के दौरान उसके संगठन ने राहत कार्य चलाया था, जिसकी तारीफ अंतराष्ट्रीय संगठनों ने भी की थी।

गौरतलब है कि जमात-उद-दावा के प्रमुख और मुंबई आतंकी हमले के आरोपी हाफिज सईद पर 50 करोड़ रुपये के इनाम की घोषणा की है। आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का संस्थापक सईद भारत की मोस्‍ट वांटेड अपराधियों की सूची में शामिल है। मुंबई में 26/11 को हुए हमले में 166 लोग मारे गए थे और सैकड़ों अन्‍य घायल हुए थे। उस हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान से सईद को सौंपने को कहा था। सईद ने कराची से प्रकाशित होने वाले उर्दू अखबार Roznama Ummat को दिए इंटरव्‍यू में हाफिज ने अपनी कहानी खुद अपनी जुबानी कही। सईद ने अपने शुरुआती जीवन से लेकर लश्‍कर और जमात उद दावा के गठन तक की कहानी बयां की। सईद के पूर्वजों का ताल्‍लुक हरियाणा के गुज्‍जर परिवार से था। सईद के पिता कमाल-उद-दीन एक साधारण किसान थे। विभाजन के बाद हाफिज के पूर्वज हरियाणा से माइग्रेट कर पाकिस्‍तान जा बसे।सईद का दावा है कि बंटवारे के बाद जब उसके परिवार के लोग पाकिस्‍तान पहुंचे तो उनमें से 36 लोगों को मार दिया गया था। सईद ने अपने पिता, मां और परिवार के अन्‍य सदस्‍यों से बंटवारे के वक्‍त हुए हादसों की कहानी सुनी। उसने कहा कि उसके परिवार के लोगों के साथ भारत में बहुत जुल्‍म हुआ और उन्‍हें हरियाणा स्थित पैतृक घर छोड़ने के लिए मजबूर किया गया ।

    ऐसा हाफिज के द्वरा प्रचारित किया जाता रहा और पाकिस्तानी सरकार जनता की नजर में वह प्रबल भारत विरोधी की शक्ल आख्तियार करके अपनी आतंक की दूकान चला रहा है ।

     वर्तमान परिस्थितियों पर अगर गौर करें तो पाकिस्तान में तालिबान की खिलाफ अभियान तेज हो चुका है इस्लामाबाद ! आतंकवादियों के खिलाफ लड़ाई तेज करते हुए पाकिस्तान ने शनिवार को पाकिस्तान तालिबान प्रमुख मुल्ला फजलुल्ला को मार गिराने का दावा किया, वहीं उसने 10 और आतंकवादियों को फांसी पर लटकाने का आदेश जारी करते हुए भारत को इस बात से भी आश्वस्त किया कि मुंबई हमले का कथित मास्टरमाइंडजकीउर रहमान लखवी को रिहा नहीं किया गया है। पेशावर सहित देश के विभिन्न इलाकों में अभियानों के दौरान एक दर्जन आतंकवादियों को ढेर कर दिया गया।
पाकिस्तान में राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश मामलों पर प्रधानमंत्री के सलाहकार सरताज अजीज ने शनिवार को कहा कि 26/11 के मुंबई हमले की साजिश के मुख्य आरोपी जकीउर रहमान लखवी को रिहा नहीं किया गया है और सरकार उसके मामले में एक याचिका दाखिल करने पर विचार कर रही है।
गुरुवार को पाकिस्तान के एक आतंकवाद रोधी अदालत ने लखवी को जमानत दे दी थी, जिसपर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी।
इसी बीच आज अपुष्ट खबरों में कहा गया है कि तहरीक-ए-तालिबान (टीटीपी) प्रमुख मुल्ला फजलुल्ला शनिवार तड़के अफगानिस्तान में एक हवाई हमले में मारा गया।
पाकिस्तान के रक्षा मंत्रालय के एक असत्यापित ट्विटर अकाउंट के एक ट्वीट में शनिवार सुबह कहा गया है कि रक्षा मंत्रालय ने फजलुल्ला के मारे जाने की खबर की पुष्टि कर दी है।
पाकिस्तानी सेना ने तालिबान और अन्य आतंकवादियोंके खिलाफ अफगानिस्तान से लगे अशांत कबायली इलाकों में पिछले छह महीनों से एक बड़ा अभियान शुरू कर रखा है।
पेशावर के एक स्कूल पर तालिबान हमले के बाद पाकिस्तानी सेना ने आतंकवाद के खिलाफ अभियान तेज कर दिया है।
पाकिस्तान के राष्ट्रपति ममनून हुसैन ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ पूरा राष्ट्र एकजुट है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद को किसी भी कीमत पर देश से समाप्त किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि पेशावर की त्रासदी ने देश को एकजुट कर दिया है और अतीत में आतंकवादियों के प्रति जिनके भीतर कोई सहानुभूति रही है, वे भी अब देश को सुरक्षित बनाने के लिए उनके सफाए की आवश्यकता बता रहे हैं।
इस बीच, उत्तरी वजीरिस्तान में अमेरिकी ड्रोन हमले में चार आतंकवादियों के मारे जाने की खबर है।
खुफिया सूत्रों ने कहा कि दत्ता खेल इलाके में ड्रोन ने एक मिसाइल दागा, जिसके कारण ये आतंकवादी मारे गए।वहीं, पेशावर शहर में सुरक्षा बलों तथा आतंकवादियों के बीच संघर्ष में पांच आतंकवादी मारे गए।
यह संघर्ष दारा आदमखेल कस्बे के निकट हुआ, जिसमें प्रमुख कमांडर मुस्तफा उर्फ मानन सहित पांच आतंकवादी मारे गए। मुस्तफा दर्रा आदमखेल इलाके में तालिबान का मुख्य सरगना था।
पेशावर के एक सैनिक स्कूल में हुए बालसंहार में आतंकवादियों को निर्देश देनेवाले आतंकवादी उमर मंसूर ने धमकी दी है कि यदि सेना तथा खुफिया एजेंसियां नहीं रुकीं, तो और बाल संहारों को अंजाम दिया जाएगा।
डान ऑनलाइन की रपट के मुताबिक, टीटीपी की वेबसाइट पर जारी एक वीडियो में मंसूर ने कहा है कि मंगलवार को स्कूल में हुआ हमला सेना की कार्रवाई का जवाब था।
पेशावर में हमले के बाद सजा-ए-मौत पर लगी पाबंदी को प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने बुधवार को हटा दिया था। इसके बाद पंजाब के गृहमंत्री शुजा खंजादा ने कहा कि पाकिस्तान में मौत की सजा पाए आठ आतंकवादियों को शनिवार को फांसी दे दी जाएगी।
जियो टीवी की रपट के मुताबिक, आतंकवादियों को फांसी कोट लकपत, अदियाला तथा बहावलपुर जेल में होगी।
पाकिस्तान की एक आतंकवाद रोधी अदालत ने शुक्रवार को दो अन्य आतंकवादियों को फांसी देने का आदेश दिया, जिन्हें वर्ष 2004 में सांप्रदायिक हत्या के मामले में मौत की सजा सुनाई गई थी। दोनों को लाहौर से फैसलाबाद जेल स्थानांतरित कर दिया गया है। उम्मीद है कि दोनों को मंगलवार को फांसी पर लटका दिया जाएगा।
वहीं, कराची के सुक्कुर जेल के अधिकारियों ने एक अन्य आतंकवाद विरोधी अदालत से दो कैदियों बेहराम खान तथा सफकत हुसैन को दो अलग-अलग मामलों में फांसी पर लटकाने का आदेश देने का अनुरोध किया है। इसके साथ ही करीब 500 आतंक वादियों को बहुत शीघ्र फांसी पर लटकाने की योजना बन चुकी है । यह सब कुछ उन्ही लोगो के लिए है जो पकिस्तान के लिए खतरा बन चुके हैं परन्तु जो भारत के लिए खतरनाक हैं उनका पोषण आज भी जारी है । हमे उत्साहित होने की जरुरत नहीं है । पाकिस्तानी सेना का बहुत कुछ अस्तित्व भारत विरोध पर ही टिका रहता है । सच्चा लोकतंत्र पाकिस्तान में सेना कभी नहीं आने देगी । भारत और पाकिस्तान की जनता एक दूसरे की संवेदनाओं को मोमबत्तियां जला कर अमन का सन्देश देती रहें परन्तु जब तक पाकिस्तानी सेना और आई एस आई का ह्रदय परिवर्तन नहीं हो जाता तब पकिस्तान यूँ आतंक का निर्यातक देश बना रहेगा ।
      मै तो सिर्फ इतना ही कहूँगा -

तुम्हारे  मुल्क के मासूम  कत्ले आम  हुए।
पस्त  इंसानियत  के  हौसले  तमाम  हुए ।।
बीज दुनिया में दहशतों का तुमने बोया है।
कटी  फसल तो अमन चैन भी हराम हुए।।

                      इति
                        - नवीन मणि त्रिपाठी
       

शनिवार, 20 दिसंबर 2014

हे मोम बत्तियां जलाने वाले

हे मोम बत्तियां जलाने वाले 
शांति प्रिय भारतीय 
नमन है तुम्हारी सहन शीलता पर
पाक के दर्द में विलीनता पर 
तुम सचमुच में महान हो 
तुम्हारा नोबल से सम्मान हो 
तुम्हारी इन्ही संवेदनाओं से 
देश में तेज उजाला होता है ।
बमो का धमाका होता है ।
लाखो हिंदुस्तानियो के हत्यारों के लिए 
तुम्हारी संवेदनाये अनमोल हैं ।
तुम्हारी कृपा से देश में आतंक का 
मेलजोल है ।
तुम्हारी मोमबत्तिया तब नहीं जली 
जब देश में सैकड़ो बे गुनाह मुंबई में मरे ।
जब होटल ताज में लोग जले ।
जब तुम्हारे सैनिको के सर की नुमाइस लगी
जब तुम्हारे विमान को कंधार लाया गया ।
जब तुम्हारे संसद पर हमला हुआ 
जब देश के सैनिको की कारगिल में नृशंश 
हत्याएं हुई ।
और अब हाफिज की तैयारी 
बंद करो ये मानवतावादी दिखने का 
पाखंड ।
नहीं तो ये तुम्हारी देशनिरपेक्षता 
कर देगी  तुम्हारे ही देश को खंड खंड ।

         नवीन

नेह का गीत जब भी लिखा

----**गीत**----

एक   संवेदना , फिर    गयी   चेतना।
मन  की   मधुरिम  कली   खो  गयी।।
नेह   का   गीत  जब    भी    लिखा ।
वो    सिसकती     गली    रो   गयी ।।

एक  तर्पण   लिए   एक  अर्पण लिए।
जोहता   बाट   था  मै  समर्पण  लिए।।
थक गया प्रेम पहिया भी  घर्षण  लिए।
खुद को ढूढा बहुत ,आज दर्पण लिए।।

इस  तरह  देखना , तीर    से   भेदना ।
श्वास      जैसे      चली    हो     गयी ।।
नेह    का   गीत  जब   भी     लिखा ।
वो     सिसकती     गली    रो   गयी ।।

तुम   बहकती   रही   उम्र के  छाँव  में ।
दृग  छलकते   रहे  फिर  तेरे  गाँव  में।।
बैठ  हम  भी   गये  थे   उसी  नाव  में।
जिसपे  बोली डुबाने  की थी दांव  में ।।

एक    संकल्पना , दे    गयी   यन्त्रणा।
प्रीति   जब   मनचली     हो     गयी ।।
नेह    का    गीत   जब   भी    लिखा ।
वो    सिसकती     गली      रो    गयी।।

शब्द  की   व्यंजना   हम  सजोते   रहे।
हार  में   मन   के  मोती   पिरोते   रहे।।
भावना    बीज    ऊषर  में   बोते  रहे ।
अश्रु   की  धार  से   हम   भिगोते  रहे।।

एक  चिर  कामना, बन   गयी  साधना।
जिन्दगी      अधजली      हो     गयी ।।
नेह    का   गीत    जब   भी    लिखा ।
वो     सिसकती    गली     रो     गयी।।

जब  उगा  एक बंजर  में अंकुर  प्रणय।
टूटता   सा    गया   एक  भंगुर   ह्रदय।।
एक   मनुहार  भी  पा  सका ना विजय।
तोड़  कर  है गया आज मन का प्रलय।।

प्रेम  की   अर्चना , जब   बनी   वासना ।
रात    क्यूँ      मखमली     हो    गयी ।।
नेह    का    गीत    जब    भी   लिखा ।
वो     सिसकती     गली     रो    गयी ।।

          - नवीन मणि त्रिपाठी

शुक्रवार, 12 दिसंबर 2014

अंत में ठहरे अकेले

अंत में ठहरे अकेले ।

बचपन में  कुछ  मीत मिले
मिल संग बहुत खेले कूदे 
मोटर गाडी फिर रेल चली 
फिर धनुष तीर बंदूक चली 
तब पापा ने भेजा स्कूल
सारी मस्ती चकनाचूर ।।

ये मुसीबत  कौन झॆले ।
अंत में ठहरे अकेले।।

नया नया स्कूल मिल गया ।
नया दोस्त अनुकूल मिल गया।
फिर यारी बढ़ गयी हमारी ।
दुनिया फिर से लगी थी न्यारी ।
दुर्दिन फिर से साथ  हो गये ।
विद्यालय से पास हो गये ।

किससे मिलते  ? कौन बोले ?
अंत में ठहरे अकेले ।।

कालेज का अब दौर आ गया।
जीने का अब ठौर आ गया ।
वो भी मिलती मै भी मिलता
दिल में कुछ कुछ होने लगता 
दिली मुहब्बत बढती जब तक
सारी डिग्री पूरी तब तक ।

वक्त ने मुझको धकेले
अंत में  ठहरे अकेले 

जीवन ने फिर सीख दिया
नही रहम का भीख दिया
रोजी रोटी ढूढ़ लिया ।
फिर कड़वा सा घूट पिया ।
बाबुल का छूटा घर द्वार ।
दूर हुआ  सारा  परिवार ।

 मन कहता घर मुझे बुला ले ।
अंत में ठहरे अकेले ।।

फिर शादी से बीबी आयी । 
जीवन साथ निभाने आयी ।
स्वार्थ जगत से नाता लाई
तबतक खुश जब तलक कमाई 
जब कुचक्र निर्धनता लाया 
रिश्ता लगने लगा पराया 

मतलब वाले सारे मेले ।
अंत में ठहरे अकेले ।।

जीवन में परिवार बढ़ा
बच्चों का संसार बढ़ा
बच्चो पर सर्वस्व लुटाया 
खूब पढ़ाया खूब लिखाया 
देख वक्त ने बदला भेष 
रोजी मिली उसे परदेश 

जिन्दगी में फिर झमेले।
अंत में  ठहरे अकेले ।।

जब बुढ़ापा आ गया 
वक्त थोडा रह गया 
अनसुना करने लगे तब
औपचारिक बन गये सब 
वे दुवाए मौत की करने लगे थे। 
जो कभी इस देह से मेरे बने थे ।

किसको किसको और तौले ।
अंत में ठहरे अकेले ।

मै अकेला ही चला था ।
मोह माया में बधा था ।
सत्य का उपहास करके 
मै ठगा सोचा स्वयं पे ।
छोड़ सारी कामना मैं
चल पड़ा निज आत्मा मैं ।

सीख जीवन की यहाँ ले ।
अंत में ठहरे अकेले ।।

            --- नवीन मणि त्रिपठी 
             दूरभाष 9839626686

शुक्रवार, 5 दिसंबर 2014

तेरी हरकत पे निगहबान नज़र रखता है

                    ----**ग़ज़ल**-----

वो  बागवां  है ,गुलिस्तां  में   असर   रखता  है।

तेरी   हरकत  पे   निगहबान  नजर  रखता  है।।



जहाँ  रकीब   भी  रो  कर  गया  है  मइयत  पे।पाक   दामन   में  मुहब्बत भी  कहर रखता है।।



इस  आफताब  की जुर्रत  में  तपिस साजिश है।शुकूं  के  वास्ते  वो   शख्स  शजर   रखता  है ।।



ना तो काहिल है ना जाहिल ना निकम्मा कहना।कतल  अदाओं  पे  होने  का   हुनर  रखता  है ।।



जो  मस्जिदों  में  ना  सजदे का सलीका सीखा।बेनमाजी   भी  रहमतों   की  खबर  रखता  है ।।



हार  जाती  है   रोज   फिरका   परस्ती  नागन ।तुम्हारा  मुल्क   भी  बेख़ौफ़   शबर  रखता  है ।।



जम्हूरियत  के   सिपाही   हैं   खबरदार   बहुत ।हौसला   जंग   का   महफूज   शहर  रखता है ।।



ढूंढ  लेती  हैं   मुसाफिर   को  मंजिले  अक्सर ।इरादे    साफ़   में   ईमान   अगर    रखता   है ।।



हँसा   फ़कीर   ठहाकों   में   मौत   पर   उसके ।मरा  है  वो भी  जो  दौलत  में  बसर  रखता है।।



एक    अदना    गरीब    देखकर    इतराना   मत।बददुआओं   में   वही    तेज   जहर  रखता   है।।


                    --नवीन मणि त्रिपाठी

सोमवार, 1 दिसंबर 2014

लगी है आग जो थोड़ी सी बुझाकर देखे

--**गजल **--

आओ   मजहब  की  नई   रीत  बनाकर   देखें ।
दर्दे   इंसानियत   को  दिल  में  सजाकर   देखें ।।


जली   हैं   बेटियां  अक्सर  इन्हीं  चिताओं   में ।
लगी  है  आग  जो   थोड़ी  सी  बुझा  कर  देखें ।।


काबा  काशी   के  चरागों से  सबक क्या सीखा ?
गरीबखाने    में   इक    दीप   जलाकर    देखें ।।


लुट   गया   मुल्क  है  दौलत  के निगहबानों  से ।
काले   पर्दों  को  जरा  हम  भी  उठाकर   देखें ।।


डूबते   कर्ज  से   लाशें   दिखीं    किसानो   की ।
इस   हकीकत   का  गुनहगार   मिटाकर    देंखे।।


हो  ना  कुर्बान  फिर  शहीद  इस  सियासत   से।
जुबाँ  पे    ताले   सियासत  के  लगाकर   देखें ।।


खो ना जाए कहीं तहजीबे तकल्लुफ का चलन ।
चलो    इंसान    को    इंसान     बनाकर   देंखे ।।

           - नवीन मणि त्रिपाठी