तीखी कलम से

सोमवार, 11 अप्रैल 2016

प्रियतम यह मधुमास तुम्हारा --गीत

गीत

आशाओ  को  छल  कर  जाता ।
प्रियतम  यह  मधुमास  तुम्हारा ।।
सहज  नयन तो  कह  जाते  हैं ।
प्रणय   बन्ध  विश्वास  हमारा ।।

अगम  अगोचर सूत्र  निरूपित ।
किन्तु नेह  क्यों है  अभिशापित।।
यौवन  श्रृंगारों   से    पुलकित।
सकल  वासना तुझ पर अर्पित ।।

नित  नीरवता  हस  कर  कहती
बहुत  हुआ  उपहास  तुम्हारा ।।
आशाओं  को  छल  कर  जाता।
प्रियतम  यह मधुमास तुम्हारा ।।

तृप्ति   बूँद   स्वाती   अमृत   है ।
भ्रमर   हो   गया   सम्मोहित  है।
हुई  कुमुदिनी  क्या  मुखरित  है।
प्रश्न्   हुआ  फिर  अनुत्तरित  है।

मेघ     सदा   मनुहार   दिखाता ।
जब  जब  मैं  आकाश निहारा ।।
आशाओ  को  छल  कर  जाता ।
प्रियतम  यह  मधुमास तुम्हारा ।।

कुञ्ज   कुञ्ज  की  रीत  पुरानी ।
अनुनादित   यह   प्रीति  सुहानी ।।
उद्वेलित   श्वासों    की    बानी ।
पावन    मधुरिम  प्रेम   कहानी ।।

जीवन  कण्टक  पथ  पर जीता ।
प्रलय   तुल्य   आभास हमारा ।।
आशाओं को  छल  कर  जाता ।
प्रियतम यह  मधुमास तुम्हारा ।।

नव    चेतन    के   अंतर्मन    में ।
कुछ  द्वन्द   हुए   अवचेतन  में ।।
धरती  अम्बर  के कण  कण  में।
है  मोक्ष   गन्ध  प्रिय  रंजन  में ।।

यह  वर्तमान   ठग   कर   जाता ।
जग  ने बस  परिहास  निखारा ।।
आशाओं  को  छल   कर जाता ।
प्रियतम  यह  मधुमास  तुम्हारा ।।

     नवीन मणि त्रिपाठी

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