तीखी कलम से

शनिवार, 10 सितंबर 2016

कब तक खिजाँ का साथ निभाया करेंगे आप

2212 121 122 121 21
चिलमन  तमाम   वक्त   हटाया  करेंगे  आप ।
तश्वीर  महफ़िलों  में   दिखाया  करेंगे   आप ।।

चुप  चाप आसुओं  को  छुपाया  करेंगे  आप ।
कुछ  बात   मशबरे   में   बताया  करेंगे  आप।।

मुझको   मेरे   नसीब  पे  यूं  छोड़िये   जनाब ।
कब तक खिंजां का साथ निभाया करेंगे आप।।

तहज़ीब  मिट चुकी  है जमाने  के आस  पास ।
बुझते  मसाल  को   न   जलाया  करेंगे  आप।।

यह बात  सच  लगी कि मुकद्दर  नही है साथ ।
मेरे   ज़ख़म  पे   ईद    मनाया  करेंगे   आप ।।

आजाद   आसमा   के   परिंदे    हैं  बदजुबान ।
अपना   वजूद   सिर्फ   मिटाया  करेंगे  आप ।।

जब भी  ग़ज़ल  हुई  है  कोई  इश्क था  मुहाल ।
अशआर   सब   हवा  में  उड़ाया  करेंगे आप ।।

कुछ  हसरतों  के नाम  लिखे खत थे जो हुजूर ।
पढ़  पढ़  के  बिस्तरों  में  दबाया  करेंगे   आप।।

                      -- नवीन मणि त्रिपाठी

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