तीखी कलम से

गुरुवार, 10 नवंबर 2016

बड़ा सदमा लगा है दर्द ये किस से कहें भाई

बड़ा  सदमा  लगा  है  दर्द  ये  किस से  कहें  भाई ।
गए   काले    ख़जाने   हाथ  से   कैसे   रहें  भाई ।।

हमे तो लूटने का  हक़ दिया जनता ने बढ़ चढ़ कर ।
तेरी पैनी  हिमाकत  को भला हम  क्यों  सहें भाई ।।

गढ़े मुद्दत की मेहनत से  करप्शन के किले हमने ।
वो  तेरी  बेरूखी  से  ये  किले भी क्यों  ढहें  भाई ।।

इलक्शन के  लिए कुछ तो रहम  करते  मेंरे आँका ।
बहुत  बोरों  में  दौलत  थी  कहाँ  लेकर  बहें भाई ।।

न  जाने  कौन  सा  जादू  चला बैठे  हो लोगों  पर ।
हमारी  कौन  है सुनता  सभी  तुमको   चहें  भाई ।।

बनी  हैं सिर्फ  घोटालो  के  बल  पर  कुर्सिया मेरी ।
करो  थोडा   जतन   मेरे   निशाने  भी   लहें भाई ।।

1222 1222 1222 1222
                   -- नवीन मणि त्रिपाठी

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