तीखी कलम से

गुरुवार, 24 नवंबर 2016

बड़ी शिद्दत से मैं दिल में दफ़न हर खार करता हूँ

---------------******ग़ज़ल******-------------

तेरे जलवे  से  वाकिफ  हूँ  तेरा  दीदार  करता  हूँ ।
मुहब्बत मैं तुझे  सज़दा  यहां  सौ  बार  करता हूँ ।।

नज़र बहकी फिजाओं में अदाएं भी हुई कमसिन ।
बड़ी  मशहूर   हस्ती  हो  नया  इकरार  करता  हूँ ।।

न  जाने  कौन सी  मिट्टी  खुदा ने फिर  तराशा  है ।
है  कारीगर बड़ा बेहतर  बहुत  ऐतबार  करता हूँ ।।

नई आबो हवा में वो  कली  खिल जायेगी  यारों ।
गुलाबी रोशनाई  से  लिखा  इजहार करता  हूँ ।।

यहां  बेदर्द  ख्वाहिश  है वहां  कातिल  निगाहें  हैं ।
बड़ी शिद्दत से मैं दिल में दफ़न हर खार करता हूँ ।।

जमाने  में  रकीबों  ने बड़ी  कीमत  लगा  दी  है ।
है नीलामी  का  ये  मंजर नया व्यापार  करता हूँ ।।

कोई तश्वीर है धुँधली , है  जिंदाबाद  ये  कोशिश ।
अधूरे अक्स को  लेकर  उसे  साकार  करता  हूँ ।।

तमन्ना  रूठ  मत  जाए  तेरे  कूचे  में  दाखिल  है ।
शिक़ायत  वक्त  करता  है उसे  बेकार  करता  हूँ ।।

बहुत नजदीक से गुज़री है तेरे  हुस्न की  खुशबू ।
हवाओं की अदावत  से ज़िगर  लाचार करता हूँ ।।

                 --- नवीन मणि त्रिपाठी

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