तीखी कलम से

शुक्रवार, 1 सितंबर 2017

ग़ज़ल - भूँखे हैं नौजवान कटोरा है हाथ में

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इतनी  जफ़ा  शबाब  पे  लाया  न  कीजिये ।
मुझको   मेरा  वजूद बताया  न   कीजिये ।।

भूखें   हैं   नौजवान   कटोरा   है  हाथ   में ।
थाली किसी के हक़ की हटाया न कीजिये ।।

बेटा  पढा  लिखा  के  वो  नीलाम  हो गया ।
कोटे   की  राजनीति   कराया  न  कीजिये ।।

अब न्याय क्या करेंगे कभी आप  मुल्क  से ।
झूठी तसल्लियाँ  तो  दिलाया   न  कीजिये ।।

कुर्सी  पे  जात  ढूढ  के चेहरा  दिखा  दिया ।
गन्दा  है जातिवाद  सिखाया  न  कीजिये ।।

वो जल रहाहै आजभी मण्डल की आग से ।
देकर  हवाएं   और  जलाया  न  कीजिये ।।

चेहरा बदल  बदल के  नहीं वोट  मांगना ।
अपनी हकीकतों को छुपाया न कीजिये ।।

कैसे   फरेबियों   का    यहां  राष्ट्रवाद   है ।
करते कहाँ हैं न्याय दिखाया  न्  कीजिये ।।

उनकी  गरीबियों  से  उन्हें  वास्ता ही क्या।
अब लाली पॉप दे के फँसाया न् कीजिये ।।

जीते  चुनाव  आप   सवर्णो  के  नाम  पर ।
संसद  में  इनका  दर्द बढ़ाया  न  कीजिये ।।

वादा किया है पास करेंगे वो बिल भी आप ।
कोटे  से  मुल्क  और  मिटाया  न  कीजिये ।।

          नावीन मणि त्रिपाठी
        मौलिक अप्रकाशित

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