तीखी कलम से

गुरुवार, 1 फ़रवरी 2018

ग़ज़ल -आज फिर वो मुझे याद आने लगे

212 212 212 212

आज  फिर  वो   मुझे  याद  आने  लगे ।
भूलने   में    जिसे   थे   ज़माने    लगे ।।

कर गई है असर  वो मिरे   जख़्म  तक ।
इस  तरह  क्यूँ  ग़ज़ल  गुनगुनाने  लगे ।।

दिल जलाने की साज़िश बयां हो गयी ।
बेसबब  आप   जब   मुस्कुराने   लगे ।।

अब  बता दीजिये क्या ख़ता  हो  गयी ।
ख़ाब  में इस  तरह  क्यों  सताने  लगे ।।

जिनको चलना सिखाया था मैंने कभी ।
राह  मुझको  वही  अब   बताने   लगे ।।

तेरे आने की उनको खबर क्या  मिली ।
असमा    लोग   सर  पे  उठाने   लगे ।।

वो   निभाएंगे  कैसे   मिरे   इश्क़  को ।
कुछ   ख़यालात   उनके  पुराने   लगे।।

इक  मुलाकत भी  थी  जरूरी  सनम ।
मानता   आपके    सौ   बहाने   लगे ।।

मैकदा  जाइये   मैकदा    खुल   गया ।
देखिये   होश   में  आप   आने  लगे ।।

जब भी  देखा मैं दायां तो बायां  दिखा।
आईने  सच  भला  कब  दिखाने लगे ।।

रुख  से  पर्दा   हटा  तो  कयामत  हुई ।
जुल्म फिर आशिकों पे  वो  ढाने  लगे ।।

              --नवीन मणि त्रिपाठी
              मौलिक अप्रकाशित

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