तीखी कलम से

गुरुवार, 1 फ़रवरी 2018

झूठी कसम तो आपकी खाई न जाएगी ।

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जो  बात  है सही  वो  छुपाई  न  जाएगी ।
झूठी कसम तो आप की खाई न जाएगी ।।

बस   हादसे  ही  हादसे  मिलते  रहे  मुझे ।
लिक्खी खुदा की बात  मिटाई न जाएगी ।।

चेहरे  हैं बेनकाब  यहाँ  कातिलों  के  अब।
लेकिन   सजाये  मौत  सुनाई  न  जाएगी ।।

ज़ाहिद खुदा की ओर मुखातिब न कर मुझे ।
काफ़िर  हूँ   मैं  नमाज़  पढ़ाई  न  जाएगी ।।

कितने    थे   बेकरार    तेरे    इंतजार    में ।
बरसात  की  वो  रात  भुलाई  न   जाएगी ।।

देखा जो उसने आपको जबसे निगाह भर ।
ऐसी  लगी  है  आग   बुझाई   न   जाएगी ।।

यूँ   मैकदा  से  हो  के  हैं  लौटे तमाम रिन्द ।
शायद   अभी   शराब   पिलाई  न  जयेगी ।।

गुजरेगी  उम्र  आपकी बस तिश्नगी के साथ ।
चिलमन  तो  अपने  आप हटाई न जाएगी ।।

             --नवीन मणि त्रिपाठी 
             मौलिक अप्रकाशित

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