तीखी कलम से

गुरुवार, 1 फ़रवरी 2018

दिल में कोई लहर उठी सी है

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दिल में कोई  लहर  उठी  सी है ।
आंख उनकी झुकी झुकी सी है ।।

देखता  जा  रहा  हूँ  मुद्दत   से ।
सुर्ख  होठों पे  तिश्नगी  सी  है ।।

कब निभाता है वो  कोई  वादा ।
बात उसकी तो दिल्लगी सी है ।।

दूरियां   इस  कदर  बढ़ी  उनसे ।
वस्ल  की  रात  मातमी  सी  है ।।

अब जरूरत है आपकी मुझको ।
देखिये  आपकी  कमी  सी   है ।।

मैंने  देखा  नहीं  सुना  है  बस ।
लोग  कहते  उसे  परी  सी  है ।।

उसको छूना जरा सँभल के अभी ।
वो  गुलाबों   की  पंखुड़ी  से  है ।।

वक्त के  साथ  कब  चला  है  वो ।
अक्ल  से उसकी  दुश्मनी  सी है ।।

कौन कहता  है  बुझ  गयी  होगी ।
आग  दिल  में  अभी  दबी सी है ।।

             -- नवीन मणि त्रिपाठी 
             मौलिक अप्रकाशित।

11 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (04-02-2018) को "अपने सढ़सठ साल" (चर्चा अंक-2869) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'सोमवार' ०५ फरवरी २०१८ को साप्ताहिक 'सोमवारीय' अंक में लिंक की गई है। आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/

    टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।

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  3. निमंत्रण

    विशेष : 'सोमवार' २६ फरवरी २०१८ को 'लोकतंत्र' संवाद मंच अपने सोमवारीय साप्ताहिक अंक में आदरणीय माड़भूषि रंगराज अयंगर जी से आपका परिचय करवाने जा रहा है।

    अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/

    टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।

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  4. आ0 शास्त्री जी , कविता रावत जी ,श्वेता सिन्हा जी ध्रुव सिंह जी । आप सबको विशेष आभार के साथ नमन।

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