तीखी कलम से

बुधवार, 28 फ़रवरी 2018

भौजी फागुन मा

फागुन पर  भोजपुरी में एक ग़ज़ल 

1212 1122 1212 22

गुलाल  लै  के  बुलावेली  भौजी  फागुन  मा ।
हजार  रंग  दिखावेली   भौजी   फागुन  मा ।।

छनी   है    भांग    वसारे   बनी   है    ठंढाई ।
पिला के सबका  नचावेली भौजी फागुन मा ।।

जवान   छोरे  इहाँ   दुम  दबा   के   भागेलें  ।
नवा  पलान  बनावेली  भौजी  फागुन   मा ।।

रगड़  गइल है  कोई  गाल  पे  करियवा  रंग ।
बड़ा हो  हल्ला  मचावेली भौजी  फागुन मा ।।

तुहार  भैया तौ  रह  गइले  आज  तक  पप्पू ।
दबा  के आंख  बतावेली भौजी  फागुन  मा ।।

लगा  के  कजरा  चकल्लस  करै   दुआरे  पर ।
खिला के गुझिया लुभावेली भौजी फागुन मा ।।

कहाँ  पे  रंग  कहाँ   पेंट   और   कहां   कनई ।
बड़ा   हिसाब   लगावेली भौजी   फागुन   माँ ।।

बचल  रहल  उ  जवन  भइया  जी के  गुब्बारा ।
गुलबिया   रंग  भरावेली  भउजी  फागुन   मा ।।

तमाम   बाबा   तो  लागेला  लहुरा   देवर  अब।
गजब  के  जुल्फी  उड़ावेली  भौजी फागुन मा ।।

जुगनिया  बनि के उ नाचेली  जब  श  रा रा रा ।
बुला  के  धक्का  लगावेली  भौजी  फागुन  में ।।

        --- नवीन मणि त्रिपाठी 
          मौलिक अप्रकाशित

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