तीखी कलम से

रविवार, 25 मार्च 2018

कुदरत का वजीफा आता है

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हालात  बदलते   जाते   हैं  यह   वक्त   उसे उलझाता  है ।
इंसान  हक़ीक़त  से अक्सर अब  रब्त  कहाँ  रख  पाता  है ।।

जो  ज़ख्म   छुपा   कर  रखते  हैं  ईमान  बचाकर  चलते  हैं ।
हिस्से में उन्हीं के ही अक्सर  कुदरत  का  वजीफ़ा आता है ।।

कुछ राज बताने लगतीं हैं माथे की शिकन आंखों की चमक ।
चेहरे  से  पता  चल  जाता  है जब  खाब  कोई  मुरझाता है ।।

जब लूट गया कोई सपना तब  होश  में  आकर  क्या होगा ।
जालिम है अभी  कितनी  दुनिया यह वक्त हमें समझाता है ।।

उस रात तुम्हारी सांसो का अहसास अभी  तक  है  जिंदा ।
चाहत का समंदर भी अब तक दरिया के लिए लहराता है।।

आबाद  मुहब्बत  क्या  होगी  हर  मोड़ पे  दुश्मन  बैठे  हैं ।
आशिक को सज़ाकर पलकों में नजरों से गिराया जाता है ।।

जो  साथ  निभाने  वाले  थे कुछ  रूठ गए  कुछ  छूट  गए ।
अब याद वो लम्हा क्या करना  जो  दर्द  हमे  दे  जाता  है ।।

         नवीन मणि त्रिपाठी 
        मौलिक अप्रकाशित

5 टिप्‍पणियां:

  1. आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'सोमवार' २६ मार्च २०१८ को साप्ताहिक 'सोमवारीय' अंक में लिंक की गई है। आपकी रचना लिंक की गई इसका अर्थ है कि आपकी रचना 'रचनाधर्मिता' के उन सभी मानदण्डों को पूर्ण करती है जिससे साहित्यसमाज और पल्लवित व पुष्पित हो रहा है। अतः आमंत्रण में आपको 'लोकतंत्र' संवाद मंच की ओर से शुभकामनाएं और टिप्पणी दोनों समाहित हैं। आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/

    टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।

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  2. हार्दिक आभार आदरणीया रश्मि प्रभा जी

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  3. जो ज़ख्म छुपा कर रखते हैं ईमान बचाकर चलते हैं ।
    हिस्से में उन्हीं के ही अक्सर कुदरत का वजीफ़ा आता है ।।....अच्छी रचना

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  4. निमंत्रण

    विशेष : 'सोमवार' १६ अप्रैल २०१८ को 'लोकतंत्र' संवाद मंच अपने साप्ताहिक सोमवारीय अंक में ख्यातिप्राप्त वरिष्ठ प्रतिष्ठित साहित्यकार आदरणीया देवी नागरानी जी से आपका परिचय करवाने जा रहा है। अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/



    टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।

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