तीखी कलम से

सोमवार, 18 जून 2018

लहज़ा बता रहा है कि दिल में खटास है

221 2121 1221 212
आया  सँवर  के  चाँद  चमन  में  उजास  है ।
बारिश  ख़ुशी की हो गयी भीगा  लिबास है ।।

कसिए न आप तंज यहां सच के नाम पर ।
लहजा बता रहा है कि दिल में खटास है ।।

मिलता  नशे  में  चूर  वो  कंगाल  आदमी ।
शायद खुदा गरीब का भरता गिलास है ।।

ये तितलियां बता रहीं हैं राज कुछ हुजूर ।
आई बहार गुल में छलकती मिठास है ।।

पीकर तमाम रिन्द मिले तिश्नगी के साथ ।
साकी तेरी  शराब  में  कुछ बात ख़ास है ।

हुस्नो  अदा  के  ताज पे चर्चा  बहुत रही ।
अक्सर तेरे रसूक  पे  लगता  कयास  है ।।

खुशबू  सी  आ  रही  है मेरे इस दयार  में ।
महबूब मेरा  आज  कहीं  आस  पास  है ।।

मक़तूल की सजा थी या कातिल का था गुनाह ।
कुछ तो  खता हुई  है जो मक़तल उदास है ।।

        -- नवीन मणि त्रिपाठी

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें