तीखी कलम से

रविवार, 10 फ़रवरी 2019

शाम कोई तो मेरे नाम करें

2122     1212     22/112
वस्ल  का  आप  इंतज़ाम   करें ।
शाम  कोई  तो  मेरे  नाम  करें ।।

कोई   उम्मीद   पालकर   तुमसे ।
चैन  कब  तक भला  हराम करें ।।

ख़ास  जलवा है आपका साहिब ।
लोग  तो  हुस्न  को  सलाम करें ।।

कुछ   भरोसा  तो  दीजिये  वरना ।
आप  से  हम  भी  राम राम  करें ।।

चांद   बेशक़   जमीं   पे  आएगा ।
दिल में हासिल कोई मुकाम करें ।।

हमने  पलकें  बिछा  दी राहों में ।
किस तरह और  एहतराम  करें ।।

इश्क़   नीलाम  हो  रहा जब  है ।
ख़ास  बोली का एहतमाम करें ।।

बच  के  रहिये  ज़रा हसीनों  से ।
इक तबस्सुम से जो गुलाम करें ।।

अब मुनाफ़ा की बात मत करिए ।
आप अब और  कोई  काम  करें ।।

छू   रही   आसमाँ  को   महंगाई ।
शादियों   में   न   तामझाम  करें ।।

दौलतों   पर  नज़र  हुई   उनकी।
जाने क्या क्या यहां निज़ाम करें ।।

         -- नवीन मणि त्रिपाठी 
           मौलिक अप्रकाशित

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