तीखी कलम से

रविवार, 15 मार्च 2020

सियासत आजमाई जा रही है

ग़ज़ल

मुहिम  ऐसी   चलाई  जा  रही  है ।।
सियासत   आजमाई  जा  रही  है ।।

हमारी भूख की है फिक्र किसको ।
नई   साजिश  रचाई  जा  रही   है ।

खरीदारों  की  हस्ती देखिये अब ।
बड़ी   बोली  लगाई  जा  रही  है ।।

सुना   है   कारनामे   पर  तुम्हारे ।
बहुत  उँगली  उठाई  जा  रही है ।।

वहाँ  कानून   जिंदा  क्या  रहेगा ।
जहाँ  धज्जी  उड़ाई  जा  रही है ।।

कहीं बे आबरू होकर  न गिरना ।
सुना  कुर्सी  हटाई  जा  रही  है ।।

ठगी सी  सोचती  मासूम  जनता ।
ये क्या सूरत दिखाई जा रही है ।।

अहं से थे बहुत  बीमार  तुम  भी ।
तुम्हारी  की  दवाई  जा  रही है ।।

झुकी रहनी थी जिसको शर्म से अब ।
नज़र वो फिर मिलाई जा रही है ।।

     --- नवीन मणि त्रिपाठी

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