तीखी कलम से

मंगलवार, 22 मार्च 2022

उनका मक़सद तो आज़माना था

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दिल्लगी   सिर्फ़   इक   बहाना  था।

उनका  मक़सद   तो  आज़माना था।।


मैं  तो  लूटा  गया  उन्हीं   से  फिर ।

जिनसे   रिश्ता  बहुत  पुराना   था ।।


तोड़  डाला   उसी  ने   दिल   देखो ।

जिसका दिल में ही आना जाना था ।।


हो  गई  कहकशाँ में जब  साज़िश ।

इक  सितारे   को  टूट  जाना  था ।।


मौत  के  बाद  आये   हैं  जिनको ।

दम निकलने  से पहले आना था ।।


चार   कंधे   नसीब   भी  न   हुए ।

साथ  जिसके  खड़ा  ज़माना  था ।।


क्या  ज़रूरत   थी   आपको  मेरी ।

आसमा  सर  पे जब  उठाना  था ।।


         डॉ नवीन मणि त्रिपाठी

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