तीखी कलम से

सोमवार, 21 मार्च 2022

वबा का असर आदमी जानते है

 है गुज़री जो दिल पे वही जानते हैं । 

वबा  का  असर आदमी जानते  हैं ।।


जिन्हें जीस्त से कोई मतलब नहीं है ।

वो नादाँ  तो  बस बेरुख़ी  जानते  हैं ।।


उन्हें ही नवाज़ा है मौला ने अक्सर ।

जो मुफ़लिस की हर बेबसी जानते हैं ।।


खुदा काफिरों  का भला  ही  करेगा ।

नहीं  बात  ये  मज़हबी  जानते  हैं ।।


यहाँ जिंदगी थम रही रफ्ता रफ्ता ।

वहाँ तो  सनम आशिक़ी जानते हैं ।।


नज़र से वही ज़ाम छलका न पाए ।

लबों की जो हर तिश्नगी जानते  हैं ।।


यहां हुस्न वालों की है असलियत ये ।

ज़माने  को  वो  मतलबी  जानते  हैं ।।


उन्हें अपने  दिल की  अमानत  न सौपो ।

मुहब्बत  को  जो  दिल्लगी  जानते हैं ।


चले आइये कीजिये शब को रोशन ।

कहाँ  रात  हम  चांदनी   जानते   हैं ।।

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