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हिज्र के बाद उसे होश तो आया होगा ।
रात भर उसने मेरे ख़त को जलाया होगा ।। 1
बेसबब आती नहीं है ये तबाही की लहर ।
कुछ सितम आप ने दरिया पे तो ढाया होगा ।।2
चल सका जो न मेरे साथ बहुत दूर तलक ।
वो किसी और से रिश्ते को निभाया होगा ।।3
इक मुलाकात पे इतना भी तसव्वुर न करो ।
शख़्स फ़िर वक्त पे इस दिल का रि'आया होगा ।।4
उसको रहना ही पड़ेगा यूँ अँधेरों में मियां ।
जो किसी घर के चरागों को बुझाया होगा ।।5
मंजिलें ख़ुद ही बुलाएंगी उसी को यारो
ख़ाब मंजिल के लिए जिसने सजाया होगा ।।6
बारहा उनके छुपाने से नहीं छुप पाए ।
इश्क़ नजरों से सरे बज़्म नुमाया होगा ।।7
रि'आया- रियासत दार
नुमाया -प्रदर्शित
- नवीन मणि त्रिपाठी
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