मौत
तू कितनी भोली है
जिन्दगी की खूब सूरत सहेली है ।
चोली दामन का साथ
दोनों के अपने जज्बात
नहीं कोई विरोध
जहाँ जन्दगी वही मौत
और जहाँ मौत वहीँ जिन्दगी
पर क्या जारी रहती है दुआ बन्दगी ?
मौत कभी तुम चुपके से आती हो ।
तो कभी शोर मचाती हो
डंके की चोट पर आती हो ।
जिन्दगी को साथ ले जाती हो
एक नीद एक विराम
या फिर अनंत विश्राम
और फिर वापस आ जाती है जिन्दगी
नयी काया के साथ ।
फिर खुशियों की बरसात ।
फिर नव जन्मे बच्चे की किलकारी
फिर मिल जाती है बचपन की फुलवारी।
मिलता है जवानी का प्रमाद
प्रणय का उन्माद
बुढापा और फिर थक जाना
अनेकानेक कष्टों का करीब आना
सहेली जिन्दगी को नारकीय
वेदना से बचा लेती हो
जिन्दगी को गोंद में समा लेती हो।
तुम नहीं देख पाती हो
दर्द से विलखती जिन्दगी
जीवन की बीमारियों की दरिंदगी
मौत तेरा शुक्र है
उसे फिर से मिल जाता है वही यौवन
वही जीवन ।
वही मकरंद
वही आनंद ।
मौत ! सिर्फ तुम्हारी कृपा से
असीम अनुकम्पा से
परमानंद के सतत प्रवाह में
बहती जिन्दगी बार बार
रूप बदल कर उर्जावान हो जाती है।
और फिर एहसान फरामोस होकर
मौत तुम्हे भूल जाती है ।।
हाँ मौत तुम्हे भूल जाती है ।
तुम्हे भूल जाती है ।।
- नवीन मणि त्रिपाठी
तू कितनी भोली है
जिन्दगी की खूब सूरत सहेली है ।
चोली दामन का साथ
दोनों के अपने जज्बात
नहीं कोई विरोध
जहाँ जन्दगी वही मौत
और जहाँ मौत वहीँ जिन्दगी
पर क्या जारी रहती है दुआ बन्दगी ?
मौत कभी तुम चुपके से आती हो ।
तो कभी शोर मचाती हो
डंके की चोट पर आती हो ।
जिन्दगी को साथ ले जाती हो
एक नीद एक विराम
या फिर अनंत विश्राम
और फिर वापस आ जाती है जिन्दगी
नयी काया के साथ ।
फिर खुशियों की बरसात ।
फिर नव जन्मे बच्चे की किलकारी
फिर मिल जाती है बचपन की फुलवारी।
मिलता है जवानी का प्रमाद
प्रणय का उन्माद
बुढापा और फिर थक जाना
अनेकानेक कष्टों का करीब आना
सहेली जिन्दगी को नारकीय
वेदना से बचा लेती हो
जिन्दगी को गोंद में समा लेती हो।
तुम नहीं देख पाती हो
दर्द से विलखती जिन्दगी
जीवन की बीमारियों की दरिंदगी
मौत तेरा शुक्र है
उसे फिर से मिल जाता है वही यौवन
वही जीवन ।
वही मकरंद
वही आनंद ।
मौत ! सिर्फ तुम्हारी कृपा से
असीम अनुकम्पा से
परमानंद के सतत प्रवाह में
बहती जिन्दगी बार बार
रूप बदल कर उर्जावान हो जाती है।
और फिर एहसान फरामोस होकर
मौत तुम्हे भूल जाती है ।।
हाँ मौत तुम्हे भूल जाती है ।
तुम्हे भूल जाती है ।।
- नवीन मणि त्रिपाठी
पूरी यात्रा का एक सुन्दर चित्र खींचा है. सुन्दर रचना त्रिपाठी जी.
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