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लेंगे हजार बार नसीहत कहाँ कहाँ ।
बाकी अभी है और फ़जीहत कहाँ कहाँ ।।
चलना बहुत सँभल के ये हिन्दोस्तान है ।
मिलती यहां सभी को हिदायत कहाँ कहाँ।।
मजहब कोई बड़ा है तो इंसानियत का है ।
पढ़ते रहेंगे आप शरीअत कहाँ कहाँ ।।
वादा किया हुजूर ने बेशक चुनाव में ।
यह बात है अलग कि इनायत कहाँ कहाँ।।
बदलेंगे लोग ,सोच बदल दीजिये जनाब ।
रक्खेंगे आप इतनी अदावत कहाँ कहाँ ।।
ईमान बेचता है यहाँ आम आदमी ।
करते रहेंगे आप हुकूमत कहाँ कहाँ ।।
कैसे रिहा हुआ है यही पूछते हैं सब ।
होती है पैरवी में किफ़ायत कहाँ कहाँ ।।
है देखना तो देखिए मुफ़लिस की जिंदगी ।
मत देखिए हैं लोग सलामत कहाँ कहाँ ।।
सहमें हुए हैं चोर हकीकत ये जानकर ।
आएगी इक नज़र से कयामत कहाँ कहाँ ।।
हालात देख के वो समझने लगे हैं सब ।
ये ग़म कहाँ कहाँ ये मसर्रत कहाँ कहाँ।।
चोरों को भी तलाश है ईमानदार की ।
ढूढा ज़मीर में है सदाक़त कहाँ कहाँ ।।
नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित
लेंगे हजार बार नसीहत कहाँ कहाँ ।
बाकी अभी है और फ़जीहत कहाँ कहाँ ।।
चलना बहुत सँभल के ये हिन्दोस्तान है ।
मिलती यहां सभी को हिदायत कहाँ कहाँ।।
मजहब कोई बड़ा है तो इंसानियत का है ।
पढ़ते रहेंगे आप शरीअत कहाँ कहाँ ।।
वादा किया हुजूर ने बेशक चुनाव में ।
यह बात है अलग कि इनायत कहाँ कहाँ।।
बदलेंगे लोग ,सोच बदल दीजिये जनाब ।
रक्खेंगे आप इतनी अदावत कहाँ कहाँ ।।
ईमान बेचता है यहाँ आम आदमी ।
करते रहेंगे आप हुकूमत कहाँ कहाँ ।।
कैसे रिहा हुआ है यही पूछते हैं सब ।
होती है पैरवी में किफ़ायत कहाँ कहाँ ।।
है देखना तो देखिए मुफ़लिस की जिंदगी ।
मत देखिए हैं लोग सलामत कहाँ कहाँ ।।
सहमें हुए हैं चोर हकीकत ये जानकर ।
आएगी इक नज़र से कयामत कहाँ कहाँ ।।
हालात देख के वो समझने लगे हैं सब ।
ये ग़म कहाँ कहाँ ये मसर्रत कहाँ कहाँ।।
चोरों को भी तलाश है ईमानदार की ।
ढूढा ज़मीर में है सदाक़त कहाँ कहाँ ।।
नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित