212 212 212 212
आप जब आईने में सँवर जाएंगे ।
फिर तसव्वुर में हम चाँद पर जाएंगे ।।
गर इरादा हमारा सलामत रहा ।
तो सितारे जमीं पर उतर जायेंगे ।।
आज महफ़िल में वो आएंगे बेनकाब ।
देखकर हुस्न को इक नज़र जाएंगे ।।
आज मौसम हसीं ढल गयी शाम है ।
तोड़कर आप दिल अब किधर जाएंगे ।।
कीजिये बेसबब और इनकार मत ।
हौसले और मेरे निखर जाएंगे ।।
जानकर क्या करेंगे वो अब हाले दिल ।
खुल गई गर जुबां तो सिहर जाएँगे ।।
उँगलियाँ मत उठाओ अभी इश्क़ पर ।
ठोकरें खा के हम भी सुधर जाएंगे ।।
अब निभाने की बातें बहुत हो चुकीं ।
मुझको मालूम है वो मुकर जाएंगे ।।
ये अना बेरुखी देखकर लोग तो ।
दिल लगाने से पहले ही डर जाएंगे ।।
हिज्र से फर्क इतना पड़ेगा यहाँ ।
ख्वाब थे कुछ बुने जो बिखर जायेंगे ।।
मैकदे मत बुला दिल पे काबू कहाँ ।
हम जो आये तो हद से गुज़र जाएंगे ।।
---नवीन मणि त्रिपाठी
आप जब आईने में सँवर जाएंगे ।
फिर तसव्वुर में हम चाँद पर जाएंगे ।।
गर इरादा हमारा सलामत रहा ।
तो सितारे जमीं पर उतर जायेंगे ।।
आज महफ़िल में वो आएंगे बेनकाब ।
देखकर हुस्न को इक नज़र जाएंगे ।।
आज मौसम हसीं ढल गयी शाम है ।
तोड़कर आप दिल अब किधर जाएंगे ।।
कीजिये बेसबब और इनकार मत ।
हौसले और मेरे निखर जाएंगे ।।
जानकर क्या करेंगे वो अब हाले दिल ।
खुल गई गर जुबां तो सिहर जाएँगे ।।
उँगलियाँ मत उठाओ अभी इश्क़ पर ।
ठोकरें खा के हम भी सुधर जाएंगे ।।
अब निभाने की बातें बहुत हो चुकीं ।
मुझको मालूम है वो मुकर जाएंगे ।।
ये अना बेरुखी देखकर लोग तो ।
दिल लगाने से पहले ही डर जाएंगे ।।
हिज्र से फर्क इतना पड़ेगा यहाँ ।
ख्वाब थे कुछ बुने जो बिखर जायेंगे ।।
मैकदे मत बुला दिल पे काबू कहाँ ।
हम जो आये तो हद से गुज़र जाएंगे ।।
---नवीन मणि त्रिपाठी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें