तीखी कलम से

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जी हाँ मैं आयुध निर्माणी कानपुर रक्षा मंत्रालय में तकनीकी सेवार्थ कार्यरत हूँ| मूल रूप से मैं ग्राम पैकोलिया थाना, जनपद बस्ती उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ| मेरी पूजनीया माता जी श्रीमती शारदा त्रिपाठी और पूजनीय पिता जी श्री वेद मणि त्रिपाठी सरकारी प्रतिष्ठान में कार्यरत हैं| उनका पूर्ण स्नेह व आशीर्वाद मुझे प्राप्त है|मेरे परिवार में साहित्य सृजन का कार्य पीढ़ियों से होता आ रहा है| बाबा जी स्वर्गीय श्री रामदास त्रिपाठी छंद, दोहा, कवित्त के श्रेष्ठ रचनाकार रहे हैं| ९० वर्ष की अवस्था में भी उन्होंने कई परिष्कृत रचनाएँ समाज को प्रदान की हैं| चाचा जी श्री योगेन्द्र मणि त्रिपाठी एक ख्यातिप्राप्त रचनाकार हैं| उनके छंद गीत मुक्तक व लेख में भावनाओं की अद्भुद अंतरंगता का बोध होता है| पिता जी भी एक शिक्षक होने के साथ साथ चर्चित रचनाकार हैं| माता जी को भी एक कवित्री के रूप में देखता आ रहा हूँ| पूरा परिवार हिन्दी साहित्य से जुड़ा हुआ है|इसी परिवार का एक छोटा सा पौधा हूँ| व्यंग, मुक्तक, छंद, गीत-ग़ज़ल व कहानियां लिखता हूँ| कुछ पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होता रहता हूँ| कवि सम्मेलन के अतिरिक्त काव्य व सहित्यिक मंचों पर अपने जीवन के खट्टे-मीठे अनुभवों को आप तक पहँचाने का प्रयास करता रहा हूँ| आपके स्नेह, प्यार का प्रबल आकांक्षी हूँ| विश्वास है आपका प्यार मुझे अवश्य मिलेगा| -नवीन

गुरुवार, 19 अप्रैल 2012

छेड़ी जो ग़ज़ल



 

छेड़ी  जो  ग़ज़ल  रात  उसकी  याद  आ  गयी |
पलकों में टिप टिपाती सी  बरसात  आ  गयी ||

खुद को छिपा लिया था  ज़माने से इस  कदर |
परदे   हज़ार    फेंक   के   जज्बात आ  गयी ||

मैंने  सुना  था  जख्म को भरता है वक्त भी |
हर वक्त  से  जख्मों  में नयी जान आ गयी ||

 गैरों   के  क़त्ल   होने  की  चर्चाएँ आम   हैं |
अपनों के क़त्ल होने  की फरियाद आ  गयी ||

उन  कांपते  होठों  ने जो  पूछा था मेरा हाल |
खामोसियाँ    लबों   पे   सरेआम   आ   गयी ||

अश्कों  ने  भिगोया  है  किसी कब्र की  चादर |
नम  होती   हवाओं   से  ये  आवाज  आ गयी || 
                                                                       -नवीन

30 टिप्‍पणियां:

  1. मैंने सुना था जख्म को भरता है वक्त भी |
    हर वक्त से जख्मों में नयी जान आ गयी ||waah

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  2. गैरों के क़त्ल होने की चर्चाएँ आम हैं |
    अपनों के क़त्ल होने की फरियाद आ गयी ||

    वह !!!!! बहुत बढ़िया प्रस्तुति,सुंदर अभिव्यक्ति, बेहतरीन रचना लिखी है नवीन जी ,...

    MY RECENT POST काव्यान्जलि ...: कवि,...

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  3. वाह ....
    अश्कों ने भिगोया है किसी कब्र की चादर |
    नम होती हवाओं से ये आवाज आ गयी ||
    बहुत सुंदर गज़ल....

    अनु

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  4. मैंने सुना था जख्म को भरता है वक्त भी |
    हर वक्त से जख्मों में नयी जान आ गयी ||

    बहुत खूबसूरत ग़ज़ल...

    जवाब देंहटाएं
  5. छेड़ी जो ग़ज़ल रात उसकी याद आ गयी |
    पलकों में टिप टिपाती सी बरसात आ गयी ||

    .......waah sunder sabhi sher behatarin .....bahut khoob ek se badhkar ek

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  6. भावनाओं से परिपूर्ण बढ़िया प्रस्तुति,

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  7. बिल्‍कुल सच कहा है आपने प्रत्‍येक पंक्ति में ..आभार इस बेहतरीन प्रस्‍तुति के लिये ।

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  8. सुन्दर प्रस्तुति |
    आभार ||

    शुभकामनाये ||

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  9. उत्तर
    1. ख़ूबसूरत रचना, सुन्दर भावाभिव्यक्ति .

      कृपया मेरे ब्लॉग"meri kavitayen" की १५० वीं पोस्ट पर पधारें और अब तक मेरी काव्य यात्रा पर अपनी राय दें, आभारी होऊंगा .

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  10. उन कांपते होठों ने जो पूछा था मेरा हाल |
    खामोसियाँ लबों पे सरेआम आ गयी ||
    लाजवाब नवीन जी.........हरेक शेर बेहद खूबसूरत है!

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  11. मैंने सुना था जख्म को भरता है वक्त भी |
    हर वक्त से जख्मों में नयी जान आ गयी ||
    बहुत बढ़िया ग़ज़ल अश आर भी एक से बढ़के एक .

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  12. मैंने सुना था जख्म को भरता है वक्त भी |
    हर वक्त से जख्मों में नयी जान आ गयी ||

    यह गज़ल एक नया जोश दे रही है. खूबसूरत प्रस्तुति.

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  13. अश्कों ने भिगोया है किसी कब्र की चादर |
    नम होती हवाओं से ये आवाज आ गयी ||

    बहुत शानदार ग़ज़ल लिखी है आपने।

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  14. मैंने सुना था जख्म को भरता है वक्त भी |
    हर वक्त से जख्मों में नयी जान आ गयी ...

    वाह क्या बात है ... बहुत अच्छे बहुत अच्छे ... समय जख्मों कों जिन्दा रखता है ... लाजवाब शेर है नवीन जी ... पूरी गज़ल कमाल है ...

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  15. वाह !!!!!!!!!!!! गजब का शब्द चयन
    पलकों में टिप टिपाती सी बरसात आ गयी

    हर शेर बेहतरीन......

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  16. मैंने सुना था जख्म को भरता है वक्त भी |
    हर वक्त से जख्मों में नयी जान आ गयी ||

    ....बहुत खूब! लाज़वाब गज़ल...हरेक शेर बहुत उम्दा...

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  17. मैंने सुना था जख्म को भरता है वक्त भी |
    हर वक्त से जख्मों में नयी जान आ गयी ||

    ...बहुत खूब! लाज़वाब गज़ल..हरेक शेर बहुत उम्दा..

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  18. vaah kya baat hai naveen ji bahut lajabaah ghazal hai sabhi sher bahut pasand aaye,sorry thoda padhne me late ho gai.

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  19. मैंने सुना था जख्म को भरता है वक्त भी |
    हर वक्त से जख्मों में नयी जान आ गयी ||

    Bahut Umda....

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  20. मैंने सुना था जख्म को भरता है वक्त भी |
    हर वक्त से जख्मों में नयी जान आ गयी ||
    वाह .. बहुत खूब कहा है आपने ।

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  21. सारगर्भित रचना । मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।

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  22. उन कांपते होठों ने जो पूछा था मेरा हाल |
    खामोसियाँ लबों पे सरेआम आ गयी ||...waah kya kahne..

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  23. मन को छू जाने वाली ग़ज़ल
    बहुत सुन्दर

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