छेड़ी जो ग़ज़ल रात उसकी याद आ गयी |
पलकों में टिप टिपाती सी बरसात आ गयी ||
खुद को छिपा लिया था ज़माने से इस कदर |
परदे हज़ार फेंक के जज्बात आ गयी ||
मैंने सुना था जख्म को भरता है वक्त भी |
हर वक्त से जख्मों में नयी जान आ गयी ||
गैरों के क़त्ल होने की चर्चाएँ आम हैं |
अपनों के क़त्ल होने की फरियाद आ गयी ||
उन कांपते होठों ने जो पूछा था मेरा हाल |
खामोसियाँ लबों पे सरेआम आ गयी ||
अश्कों ने भिगोया है किसी कब्र की चादर |
नम होती हवाओं से ये आवाज आ गयी ||
-नवीन
मैंने सुना था जख्म को भरता है वक्त भी |
जवाब देंहटाएंहर वक्त से जख्मों में नयी जान आ गयी ||waah
गैरों के क़त्ल होने की चर्चाएँ आम हैं |
जवाब देंहटाएंअपनों के क़त्ल होने की फरियाद आ गयी ||
वह !!!!! बहुत बढ़िया प्रस्तुति,सुंदर अभिव्यक्ति, बेहतरीन रचना लिखी है नवीन जी ,...
MY RECENT POST काव्यान्जलि ...: कवि,...
वाह!!!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर ग़ज़ल.
वाह ....
जवाब देंहटाएंअश्कों ने भिगोया है किसी कब्र की चादर |
नम होती हवाओं से ये आवाज आ गयी ||
बहुत सुंदर गज़ल....
अनु
वाह क्या बात है जी!
जवाब देंहटाएंमैंने सुना था जख्म को भरता है वक्त भी |
जवाब देंहटाएंहर वक्त से जख्मों में नयी जान आ गयी ||
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल...
छेड़ी जो ग़ज़ल रात उसकी याद आ गयी |
जवाब देंहटाएंपलकों में टिप टिपाती सी बरसात आ गयी ||
.......waah sunder sabhi sher behatarin .....bahut khoob ek se badhkar ek
भावनाओं से परिपूर्ण बढ़िया प्रस्तुति,
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सच कहा है आपने प्रत्येक पंक्ति में ..आभार इस बेहतरीन प्रस्तुति के लिये ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंआभार ||
शुभकामनाये ||
बहुत गहरे उतरती आपकी यह रचना।
जवाब देंहटाएंख़ूबसूरत रचना, सुन्दर भावाभिव्यक्ति .
हटाएंकृपया मेरे ब्लॉग"meri kavitayen" की १५० वीं पोस्ट पर पधारें और अब तक मेरी काव्य यात्रा पर अपनी राय दें, आभारी होऊंगा .
sundar post
जवाब देंहटाएंउन कांपते होठों ने जो पूछा था मेरा हाल |
जवाब देंहटाएंखामोसियाँ लबों पे सरेआम आ गयी ||
लाजवाब नवीन जी.........हरेक शेर बेहद खूबसूरत है!
bahut sundar rachna .....
जवाब देंहटाएंमैंने सुना था जख्म को भरता है वक्त भी |
जवाब देंहटाएंहर वक्त से जख्मों में नयी जान आ गयी ||
बहुत बढ़िया ग़ज़ल अश आर भी एक से बढ़के एक .
मैंने सुना था जख्म को भरता है वक्त भी |
जवाब देंहटाएंहर वक्त से जख्मों में नयी जान आ गयी ||
यह गज़ल एक नया जोश दे रही है. खूबसूरत प्रस्तुति.
अश्कों ने भिगोया है किसी कब्र की चादर |
जवाब देंहटाएंनम होती हवाओं से ये आवाज आ गयी ||
बहुत शानदार ग़ज़ल लिखी है आपने।
मैंने सुना था जख्म को भरता है वक्त भी |
जवाब देंहटाएंहर वक्त से जख्मों में नयी जान आ गयी ...
वाह क्या बात है ... बहुत अच्छे बहुत अच्छे ... समय जख्मों कों जिन्दा रखता है ... लाजवाब शेर है नवीन जी ... पूरी गज़ल कमाल है ...
वाह !!!!!!!!!!!! गजब का शब्द चयन
जवाब देंहटाएंपलकों में टिप टिपाती सी बरसात आ गयी
हर शेर बेहतरीन......
wah...bahut sundar
जवाब देंहटाएंमैंने सुना था जख्म को भरता है वक्त भी |
जवाब देंहटाएंहर वक्त से जख्मों में नयी जान आ गयी ||
....बहुत खूब! लाज़वाब गज़ल...हरेक शेर बहुत उम्दा...
मैंने सुना था जख्म को भरता है वक्त भी |
जवाब देंहटाएंहर वक्त से जख्मों में नयी जान आ गयी ||
...बहुत खूब! लाज़वाब गज़ल..हरेक शेर बहुत उम्दा..
vaah kya baat hai naveen ji bahut lajabaah ghazal hai sabhi sher bahut pasand aaye,sorry thoda padhne me late ho gai.
जवाब देंहटाएंमैंने सुना था जख्म को भरता है वक्त भी |
जवाब देंहटाएंहर वक्त से जख्मों में नयी जान आ गयी ||
Bahut Umda....
मैंने सुना था जख्म को भरता है वक्त भी |
जवाब देंहटाएंहर वक्त से जख्मों में नयी जान आ गयी ||
वाह .. बहुत खूब कहा है आपने ।
सारगर्भित रचना । मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंउन कांपते होठों ने जो पूछा था मेरा हाल |
जवाब देंहटाएंखामोसियाँ लबों पे सरेआम आ गयी ||...waah kya kahne..
बहुत बढ़िया गजल...
जवाब देंहटाएंसादर बधाई।
मन को छू जाने वाली ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर