गाँधी तेरे देश में विडम्बना का हाल ये है ,भ्रष्टता परंपरा की रीत बन जाएगी |.
आधी अर्थ शक्ति तो विदेशियों के हाथ में है ,उग्रता तो जनता की प्रीत बन जाएगी ||.
लाज शर्म घोल के पिया है जननायकों ने ,लोकपालवादियों की नीद उड़ जाएगी |
कली है कमाई अब देश के प्रशासकों , की अब तो लुटेरों वाली नीति बन जाएगी ||
हो रहा अवैध है खनन इस देश में तो भट्टा परसौल की मिसाल मिल जाएगी |
टू जी का घोटाला है तो खेलों में भी घाल-मेल ,ऐसे जननायकों की चाल दिख जाएगी||
हत्यारे ये रोगियों की दवाओं को लूटते हैं , जाँच की मजाल की जुबान सिल जाएगी |
कौन से भरोसे से तू वोट मांग पायेगा रे , चोर सी निगाह तेरी उठ नहीं पायेगी ||.
होड़ सी लगी है आज देश को खंगालने की ,देश में विषमता की खाई खुद जाएगी |
टूट रही देश भक्ति टूट रहा आत्मबल , और क्या व्यथाओं की निशानी चुभ जाएँगी |
रोटी दाल थाली मजदूर से भी दूर चली ,महगाई मौत की कहानी लिख जाएगी ||
लोकतंत्र का मजाक बन गया देश आज , वन्दे मातरम वाली वाणी उठ जाएगी||
अर्थ के गुलाम बन जिन्दगी जियेंगे नही , दूसरी आजादी की लडाई छिड़ जाएगी |
काले कारोबारियों को देश से उखाड़ फेंक , देश में प्रसन्नता की फिर घडी आएगी ||
धैर्य की परीक्षा अब देंगे नही देश वासी, अर्थतंत्र वाली बलि- बेदी चढी जाएगी |
बांध के कफ़न आज युद्ध में तो कूद कर , भ्रष्टाचारी ताज पर मौत जड़ी जाएगी ||
लूट तंत्र , घूस तंत्र , भ्रष्टता के षड्यंत्र ,गणतंत्र शक्ति वाली कीर्ति धुल जाईगी |
जाति क्षेत्र धर्मवाद जैसी ही जकड़ता में, अभिशप्त उन्नति की मूर्ति बन जाएगी ||
जाग नहीं पाए तो ये देश टूट जाएगा भी ,दुर्भाग्य चरम की पूर्ती कर जाएगी |
मरना जरूरी है तो देश के लिए ही मरो , बलिदानी मृत्यु तेरी जीत बन जाएगी ||
जाग नहीं पाए तो ये देश टूट जाएगा भी ,
जवाब देंहटाएंदुर्भाग्य चरम की पूर्ती कर जाएगी |
मरना जरूरी है तो देश के लिए ही मरो ,
बलिदानी मृत्यु तेरी जीत बन जाएगी ||
बहुत सुंदर सार्थक अभिव्यक्ति // बेहतरीन रचना //नवीन जी.....
MY RECENT POST ....काव्यान्जलि ....:ऐसे रात गुजारी हमने.....
वाह...
जवाब देंहटाएंहोड़ सी लगी है आज देश को खंगालने की ,देश में विषमता की खाई खुद जाएगी |
टूट रही देश भक्ति टूट रहा आत्मबल , और क्या व्यथाओं की निशानी चुभ जाएँगी |
बहुत बढ़िया,गहन और सार्थक रचना.
सादर.
seedha or teekha prhaar hae .oj purna post. bdhai
जवाब देंहटाएंbahut hi badhiya rachana hai..
जवाब देंहटाएंshandaar rachana...
आज के समय को यथार्थ रूप में परिभाषित किया है ...सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंदेख तेरे इस देश की हालत क्या हो गयी भगवान..
जवाब देंहटाएंबलिदानी मृत्यु तेरी जीत बन जाएगी | bahut hi umda sir ji !!
जवाब देंहटाएंअर्थ के गुलाम बन जिन्दगी जियेंगे नही , दूसरी आजादी की लडाई छिड़ जाएगी |
जवाब देंहटाएंकाले कारोबारियों को देश से उखाड़ फेंक , देश में प्रसन्नता की फिर घडी आएगी
ये काम हम सभी कों मिल के करना होगा ... सब कों खड़ा होना होगा ... बहुत प्रेरित करती है आपकी रचना ...
अर्थ के गुलाम बन जिन्दगी जियेंगे नही , दूसरी आजादी की लडाई छिड़ जाएगी द्य
जवाब देंहटाएंकाले कारोबारियों को देश से उखाड़ फेंक , देश में प्रसन्नता की फिर घडी आएगी द्यद्य
धैर्य की परीक्षा अब देंगे नही देश वासी, अर्थतंत्र वाली बलि- बेदी चढी जाएगी द्य
बांध के कफन आज युद्ध में तो कूद कर , भ्रष्टाचारी ताज पर मौत जड़ी जाएगी द्यद्य
हम कामना करते हैं कि इस रचना में व्यक्त की गई कल्पना जल्द ही साकार हो।
सार्थकता लिए सटीक प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंअर्थ के गुलाम बन जिन्दगी जियेंगे नही , दूसरी आजादी की लडाई छिड़ जाएगी |
जवाब देंहटाएंकाले कारोबारियों को देश से उखाड़ फेंक , देश में प्रसन्नता की फिर घडी आएगी ||
धैर्य की परीक्षा अब देंगे नही देश वासी, अर्थतंत्र वाली बलि- बेदी चढी जाएगी |
बांध के कफ़न आज युद्ध में तो कूद कर , भ्रष्टाचारी ताज पर मौत जड़ी जाएगी ||
बेहद की रिदम और ताल है इस रचना में गाके देख लिया .अर्थ भी और भाव अनुभाव जोश भी आग्रह भी बदलाव का .शुक्रिया .कृपया यहाँ भी पधारें -
बुधवार, 9 मई 2012
शरीर की कैद में छटपटाता मनो -भौतिक शरीर
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आरोग्य समाचार
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क्या डायनासौर जलवायु परिवर्तन और खुद अपने विनाश का कारण बने ?
क्या डायनासौर जलवायु परिवर्तन और खुद अपने विनाश का कारण बने ?
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बहुत शानदार और सटीक प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंदेश के तंत्र की आपने खूब धज्जी उड़ाई है।
जवाब देंहटाएंमरना जरूरी है तो देश के लिए ही मरो , बलिदानी मृत्यु तेरी जीत बन जाएगी
जवाब देंहटाएंजोश का संचार करते, नवीन स्फूर्ति भरते, उर्जावान छंद. समस्या के साथ-साथ समाधान भी,वाह!
बिलकुल यही दशा है ...सार्थक चित्रण ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना ...!
शुभकामनायें ....!!
सटीक ....प्रभावी अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंयथार्थ परक रचना... वाह!
जवाब देंहटाएंसादर।
sarthak nd satik prastutui....
जवाब देंहटाएंबहुत ही प्रभावी रचना ....उत्कृष्ट अभिव्यक्ति..आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति.............आभार
जवाब देंहटाएंबहुत ही प्रभावित करती पक्तियां । मेरे नए पोस्ट अमीर खुसरो पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंतीखी कलम से निकली एक अर्थपूर्ण रचना जो मुल्क की हालत को बख़ूबी बयान करती है...
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे.... नवीन भई
वैसे आपके सवाल का जवाब मैने दे दिया है..
gazal ke sher to ab kr gaye asar etana.
gahre jajbat numais ki vajah too jane ..
सुंदर प्रस्तुति । मेरे नए पोस्ट कबीर पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंपूरे तंत्र का सच्चा हाल आपने लिख दिया है।
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