तेरी तारीफ में उसने क्या कह दिया ।
वह तो खामोश सबकी जुबां कर दिया ॥
मयकशी की भी चर्चा हुई जब कभी ।
तेरे पैमाने को , मयकदा कह दिया ॥
एक उलझी हुई सी , कथा पढ़ लिया ।
मन के सपनों की सारी, व्यथा पढ़ लिया ॥
उसकी जज्बात लिखने , कलम जब चली ।
सोच कर कुछ मुझे, अन्यथा कह दिया ॥
जिक्र चिलमन की महफ़िल में क्यूं कर दिया ।
चाँद को बादलों ने , छिपा फिर लिया ॥
दर्द माँगा था मैंने , तेरे प्यार में ।
तूने इजहार में क्यूँ , दवा रख दिया ॥
एक मुद्दत से जलता , रहा वह दिया ।
रोशनी से मोहब्बत , बयाँ कर दिया ॥
नूर आँखों का भी , आज शरमा गया ।
बे हिचक तुमने जब, बेवफा कह दिया ॥
एक सहमी नजर को, हया कह दिया ।
मैंने कातिल को अहले फिजा कह दिया ॥
जुल्फे लहरायीं जब, क़त्ल की चाह में ।
मैंने रुखसत चमन अलविदा कह दिया ॥
एक सहमी नजर को, हया कह दिया ।
जवाब देंहटाएंमैंने कातिल को अहले फिजा कह दिया ॥
....बहुत खूब...बेहतरीन प्रस्तुति...
bahut sundar
जवाब देंहटाएंएक उलझी हुई सी , कथा पढ़ लिया ।
जवाब देंहटाएंमन के सपनों की सारी, व्यथा पढ़ लिया ॥
उसकी जज्बात लिखने , कलम जब चली ।
सोच कर कुछ मुझे, अन्यथा कह दिया ॥
उम्दा अभिव्यक्ति .... बेहतरीन प्रस्तुति....
बहुत बढ़िया...
जवाब देंहटाएंदर्द माँगा था मैंने , तेरे प्यार में ।
तूने इजहार में क्यूँ , दवा रख दिया ॥
लाजवाब शेर...
सादर
अनु
आपकी यह प्रविष्टि कल दिनांक 25-03-2013 को सोमवारीय चर्चामंच पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
जवाब देंहटाएंbahut khoob naveen ji !
जवाब देंहटाएंखूबसूरत ग़ज़ल त्रिपाठी जी.
जवाब देंहटाएंदर्द माँगा था मैंने , तेरे प्यार में ।
तूने इजहार में क्यूँ , दवा रख दिया ॥
काश ऐसा होता सबके साथ :) होली की शुभकामनायें.
महा संग्राम के अजेय योद्धा की तरह.......क्या ललकार किया है........क्या मधुर पंक्तियाँ संजोयी हैं....
जवाब देंहटाएंइस सशक्त श्रंगार प्रधान...युवा हृदय रचना के लिया साधुवाद .
बहुत प्यारा लिखा है..
जवाब देंहटाएंएक मुद्दत से जलता , रहा वह दिया ।
जवाब देंहटाएंरोशनी से मोहब्बत , बयाँ कर दिया ॥
नूर आँखों का भी , आज शरमा गया ।
बे हिचक तुमने जब, बेवफा कह दिया ..
बहुत ही लाजवाब लिखा है ... मुहब्बत का अन्दाजें बयाँ भी जुदा है ...
सुन्दर लयात्मक रचना ... होली की बधाई ...
जिक्र चिलमन की महफ़िल में क्यूं कर दिया ।
जवाब देंहटाएंचाँद को बादलों ने , छिपा फिर लिया ॥
दर्द माँगा था मैंने , तेरे प्यार में ।
तूने इजहार में क्यूँ , दवा रख दिया ॥
बहुत उम्दा सराहनीय प्रस्तुति ,,बधाई नवीन जी
होली की बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाए,,,
Recent post : होली में.
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएं--
रंगों के पर्व होली की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ!
बहुत बेहतरीन रचना , होली के पर्व पर आपको ढेर सारी शुभकामनाएं, मेरे ब्लॉग पर आने के लिए आभार
जवाब देंहटाएंशुकरवार यानी 29-03-2013 की नई पुरानी हलचल परआप की ये रचना लिंक की जा रही है...
जवाब देंहटाएंसूचनार्थ...
तेरी तारीफ में उसने क्या कह दिया ।
जवाब देंहटाएंवह तो खामोश सबकी जुबां कर दिया ॥
मयकशी की भी चर्चा हुई जब कभी ।
तेरे पैमाने को , मयकदा कह दिया ॥
बहुत बढिया !
होली की हार्दिक शुभकामनाएं !
एक मुद्दत से जलता , रहा वह दिया ।
जवाब देंहटाएंरोशनी से मोहब्बत , बयाँ कर दिया ॥
नूर आँखों का भी , आज शरमा गया ।
बे हिचक तुमने जब, बेवफा कह दिया ॥
...लाज़वाब प्रस्तुति...होली की हार्दिक शुभकामनायें!
बहुत सुंदर प्रस्तुति नवीन जी आपको सपरिवार बधाई एवं शुभ कामनाये
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ...
जवाब देंहटाएंदर्द माँगा था मैंने , तेरे प्यार में ।
जवाब देंहटाएंतूने इजहार में क्यूँ , दवा रख दिया ॥
लोग तो दवा मांगते हैं आपने दर्द क्यों माँगा ....:))
heer ji post tk pahuchane ke liye sadar आभार .....प्रेम जब स्वार्थ ke aas paas होता है तो dwa hi मागता है और जब nihswarth और सच्चा होता है तो सिर्फ दर्द मागता है शायद यही सोच kar maine दर्द maga है
हटाएंसुन्दर गज़ल
जवाब देंहटाएंदर्द माँगा था मैंने , तेरे प्यार में ।
जवाब देंहटाएंतूने इजहार में क्यूँ , दवा रख दिया ॥ बहुत सुन्दर ,उम्दा प्रस्तुति
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जवाब देंहटाएंदर्द माँगा था मैंने , तेरे प्यार में ।
तूने इजहार में क्यूँ , दवा रख दिया ॥
भला क्यों होता है ऐसा हर वफ़ा की उम्मीद में ?
behtareen gazal likhi hai aapne!
जवाब देंहटाएंबेहद सुन्दर लाजवाब प्रस्तुति नवीन भाई
जवाब देंहटाएंसुन्दर गजल
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