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किसी की याद में जलती मशाल आज भी है ।
इन आँसुओं में सुलगता सवाल आज भी है ।।
न पूछ मुझसे मुहब्बत के दौर का वो सफर ।
ये बात और है तेरा ख़याल आज भी है ।
वो इश्क बेच के आया है रात भर के लिए ।
तेरे दयार में रहता दलाल आज भी है ।।
तमाम दर्द का लिक्खा पयाम पढ़ तो सही ।
खतों के साथ में जिन्दा मिशाल आज भी है ।।
यहाँ खुली हैं दुकानें तिज़ारतों की मगर ।
नई बज़ार में देखा उछाल आज भी है ।।
शरीफ़ लोग हैं इनको न बे इमान कहो ।
शराफ़तों में ठहरता मज़ाल आज भी है ।।
नज़र नज़र की वो रंगीनियाँ न भूल सके ।
वो रंगतों की निशानी गुलाल आज भी है ।।
बहुत जुदा है इबादत की रौशनी का असर।
बड़ा यतीम था कायम धमाल आज भी है ।।
हरेक जख़्म को मैंने ग़ज़ल के साथ पढ़ा ।
अदा अदा में कशिश है कमाल आज भी है ।।
पड़ी जो एक नज़र हुस्न वो शराब हुई ।
ये होश खो के वो होता हलाल आज भी है ।।
सबूत माँग न मुझ से मेरे हबीब ठहर ।
मेरे नसीब में भीगी रुमाल आज भी है ।।
वो मैंक़दों का चलन तिश्नगी के साथ चलो ।
अजीब इश्क़ था मुझको मलाल आज भी है ।।
-- नवीन मणि त्रिपाठी
किसी की याद में जलती मशाल आज भी है ।
इन आँसुओं में सुलगता सवाल आज भी है ।।
न पूछ मुझसे मुहब्बत के दौर का वो सफर ।
ये बात और है तेरा ख़याल आज भी है ।
वो इश्क बेच के आया है रात भर के लिए ।
तेरे दयार में रहता दलाल आज भी है ।।
तमाम दर्द का लिक्खा पयाम पढ़ तो सही ।
खतों के साथ में जिन्दा मिशाल आज भी है ।।
यहाँ खुली हैं दुकानें तिज़ारतों की मगर ।
नई बज़ार में देखा उछाल आज भी है ।।
शरीफ़ लोग हैं इनको न बे इमान कहो ।
शराफ़तों में ठहरता मज़ाल आज भी है ।।
नज़र नज़र की वो रंगीनियाँ न भूल सके ।
वो रंगतों की निशानी गुलाल आज भी है ।।
बहुत जुदा है इबादत की रौशनी का असर।
बड़ा यतीम था कायम धमाल आज भी है ।।
हरेक जख़्म को मैंने ग़ज़ल के साथ पढ़ा ।
अदा अदा में कशिश है कमाल आज भी है ।।
पड़ी जो एक नज़र हुस्न वो शराब हुई ।
ये होश खो के वो होता हलाल आज भी है ।।
सबूत माँग न मुझ से मेरे हबीब ठहर ।
मेरे नसीब में भीगी रुमाल आज भी है ।।
वो मैंक़दों का चलन तिश्नगी के साथ चलो ।
अजीब इश्क़ था मुझको मलाल आज भी है ।।
-- नवीन मणि त्रिपाठी
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि- आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल शनिवार (15-10-2016) के चर्चा मंच "उम्मीदों का संसार" {चर्चा अंक- 2496} पर भी होगी!
जवाब देंहटाएंहार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
sadar aabhar sir
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