2122 1122 1122 22
अश्क आए तो निगाहों को सजा क्या दोगे ।
है पता खूब वफाओं का सिला क्या दोगे।।
खत जो आया था मुहब्बत की निशानी लेकर ।
लोग पूछें तो जमाने को बता क्या दोगे ।
सुन लिया मैंने तेरे प्यार के किस्से सारे ।
टूट जाए जो मेरा दिल तो खता क्या दोगे ।।
मेरी किस्मत ने मुझे जब भी पुकारा होगा ।
मुझको मालूम मेरे घर का पता क्या दोगे ।।
आशियाँ जब भी उजाड़ोगे तो मुश्किल होगी ।
तेरी हस्ती ही नही मुझको हटा क्या दोगे ।।
सो गया रात अधूरी सी कहानी लिखकर ।
चन्द मिसरों के लिए और जफ़ा क्या दोगे ।।
पाक कहते हैं उसे लोग बड़ी है चर्चा ।
साफ़ दामन है नया दाग़ लगा क्या दोगे ।।
लिख रही नाम तेरा रेत पे कब से पगली ।
उसकी आदत है वो जज्बात मिटा क्या दोगे ।।
बाद मुद्दत के हमें इश्क में जीना आया ।
दर्द बढ़ने के सिवा और दुआ क्या दोगे ।।
ऐ मुसाफ़िर तू हवाओं से कहाँ है वाक़िफ़ ।
इन चिरागों को हकीकत में बुझा क्या दोगे ।।
-- नवीन मणि त्रिपाठी
अश्क आए तो निगाहों को सजा क्या दोगे ।
है पता खूब वफाओं का सिला क्या दोगे।।
खत जो आया था मुहब्बत की निशानी लेकर ।
लोग पूछें तो जमाने को बता क्या दोगे ।
सुन लिया मैंने तेरे प्यार के किस्से सारे ।
टूट जाए जो मेरा दिल तो खता क्या दोगे ।।
मेरी किस्मत ने मुझे जब भी पुकारा होगा ।
मुझको मालूम मेरे घर का पता क्या दोगे ।।
आशियाँ जब भी उजाड़ोगे तो मुश्किल होगी ।
तेरी हस्ती ही नही मुझको हटा क्या दोगे ।।
सो गया रात अधूरी सी कहानी लिखकर ।
चन्द मिसरों के लिए और जफ़ा क्या दोगे ।।
पाक कहते हैं उसे लोग बड़ी है चर्चा ।
साफ़ दामन है नया दाग़ लगा क्या दोगे ।।
लिख रही नाम तेरा रेत पे कब से पगली ।
उसकी आदत है वो जज्बात मिटा क्या दोगे ।।
बाद मुद्दत के हमें इश्क में जीना आया ।
दर्द बढ़ने के सिवा और दुआ क्या दोगे ।।
ऐ मुसाफ़िर तू हवाओं से कहाँ है वाक़िफ़ ।
इन चिरागों को हकीकत में बुझा क्या दोगे ।।
-- नवीन मणि त्रिपाठी
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (04-12-2016) को "ये भी मुमकिन है वक़्त करवट बदले" (चर्चा अंक-2546) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
विशेष आभार आ0 शास्त्री सर ।
हटाएंविशेष आभार आ0 शास्त्री सर ।
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