तीखी कलम से

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जी हाँ मैं आयुध निर्माणी कानपुर रक्षा मंत्रालय में तकनीकी सेवार्थ कार्यरत हूँ| मूल रूप से मैं ग्राम पैकोलिया थाना, जनपद बस्ती उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ| मेरी पूजनीया माता जी श्रीमती शारदा त्रिपाठी और पूजनीय पिता जी श्री वेद मणि त्रिपाठी सरकारी प्रतिष्ठान में कार्यरत हैं| उनका पूर्ण स्नेह व आशीर्वाद मुझे प्राप्त है|मेरे परिवार में साहित्य सृजन का कार्य पीढ़ियों से होता आ रहा है| बाबा जी स्वर्गीय श्री रामदास त्रिपाठी छंद, दोहा, कवित्त के श्रेष्ठ रचनाकार रहे हैं| ९० वर्ष की अवस्था में भी उन्होंने कई परिष्कृत रचनाएँ समाज को प्रदान की हैं| चाचा जी श्री योगेन्द्र मणि त्रिपाठी एक ख्यातिप्राप्त रचनाकार हैं| उनके छंद गीत मुक्तक व लेख में भावनाओं की अद्भुद अंतरंगता का बोध होता है| पिता जी भी एक शिक्षक होने के साथ साथ चर्चित रचनाकार हैं| माता जी को भी एक कवित्री के रूप में देखता आ रहा हूँ| पूरा परिवार हिन्दी साहित्य से जुड़ा हुआ है|इसी परिवार का एक छोटा सा पौधा हूँ| व्यंग, मुक्तक, छंद, गीत-ग़ज़ल व कहानियां लिखता हूँ| कुछ पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होता रहता हूँ| कवि सम्मेलन के अतिरिक्त काव्य व सहित्यिक मंचों पर अपने जीवन के खट्टे-मीठे अनुभवों को आप तक पहँचाने का प्रयास करता रहा हूँ| आपके स्नेह, प्यार का प्रबल आकांक्षी हूँ| विश्वास है आपका प्यार मुझे अवश्य मिलेगा| -नवीन

शनिवार, 8 फ़रवरी 2025

ख्वाब का इक सिलसिला मिल जाएगा

 2122 2122 2122 212

ज़िन्दगी  जीने  का  शायद   फ़लसफ़ा  मिल  जाएगा ।

उनसे मिलकर ख़्वाब का इक सिलसिला  मिल जाएगा ।।


उसकी ज़िद है ख़त मुझे लिक्खेगा वो इस शर्त पर ।

जब  उसे दिल का मेरे लिक्खा पता मिल जाएगा ।।


ढूढता   ही   रह   गया   ताउम्र  यारो   हमनशीं ।

क्या ख़बर थी एक दिन इक बेवफ़ा मिल जाएगा ।।


कहकशाँ  से  इक  सितारा  टूटा  इस  उम्मीद  में ।

चाँद  मुझको   बेख़ुदी  में  घूमता  मिल  जाएगा ।।


इश्क़  में तू  डूब  कर तो देख  कुछ  दिन ऐ  बशर ।

राह ए उल्फ़त का तुझे भी तज़रिबा मिल जाएगा ।।


माँगिये दुनिया से मत कोई मदद इस दौर में ।

 सबकी दर से  इक बहाना फिर नया मिल जाएगा ।।


कुछ गिला शिकवा शिकायत और थोड़ी तोहमतें ।

इससे ज़्यादा उनसे मिलकर और क्या मिल जाएगा ।।


मन्दिर ओ मस्ज़िद में वो मिलता नहीं है आजकल ।

अपने अंदर ढूढ तू तुझको ख़ुदा मिल जाएगा ।।


              --नवीन मणि त्रिपाठी।

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