मेरी हर निशानी मिटाने से पहले ।
वो रोया बहुत भूल जाने से पहले ।।
गयी डूब कश्ती यहाँ चाहतों की ।
समंदर में साहिल को पाने से पहले ।।
जफ़ाओं के मंजर से गुज़रा है कोई ।
मेरा ख़त गली में जलाने से पहले ।।
वो दिल खेलने के लिए मांगते हैं ।
मुहब्बत की रस्मे निभाने से पहले ।।
ये तन्हाइयां हो न जाएँ सितमगर ।
चले आइये याद आने से पहले ।।
मेरे हाल पर छोड़ दे मुझको जालिम ।
मुझे और सपने दिखाने से पहले ।।
जमाने की तासीर समझा करो तुम ।
किसी दिल पे जादू चलाने से पहले ।।
वो देकर गया है नई इक चुनौती ।
मेरा हौसला आजमाने से पहले ।।
बुलन्दी पे लाने की आदत है उनकी ।
नज़र से किसी को गिराने से पहले ।।
यकीं कैसे कर लूं मैं तुझ पर ऐ जालिम ।
शराफत का मंजर दिखाने से पहले ।।
तस्सवुर जवाँ हो गए सब हमारे ।
तुम्हारी ग़ज़ल गुनगुनाने से पहले ।।
है भौरों को पूरी खबर अब कली की ।
हवाओं में खुश्बू समाने से पहले ।।
122 122 122 122
नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित
वो रोया बहुत भूल जाने से पहले ।।
गयी डूब कश्ती यहाँ चाहतों की ।
समंदर में साहिल को पाने से पहले ।।
जफ़ाओं के मंजर से गुज़रा है कोई ।
मेरा ख़त गली में जलाने से पहले ।।
वो दिल खेलने के लिए मांगते हैं ।
मुहब्बत की रस्मे निभाने से पहले ।।
ये तन्हाइयां हो न जाएँ सितमगर ।
चले आइये याद आने से पहले ।।
मेरे हाल पर छोड़ दे मुझको जालिम ।
मुझे और सपने दिखाने से पहले ।।
जमाने की तासीर समझा करो तुम ।
किसी दिल पे जादू चलाने से पहले ।।
वो देकर गया है नई इक चुनौती ।
मेरा हौसला आजमाने से पहले ।।
बुलन्दी पे लाने की आदत है उनकी ।
नज़र से किसी को गिराने से पहले ।।
यकीं कैसे कर लूं मैं तुझ पर ऐ जालिम ।
शराफत का मंजर दिखाने से पहले ।।
तस्सवुर जवाँ हो गए सब हमारे ।
तुम्हारी ग़ज़ल गुनगुनाने से पहले ।।
है भौरों को पूरी खबर अब कली की ।
हवाओं में खुश्बू समाने से पहले ।।
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नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित
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