11212 11212. 11212. 11212
हुई तीरगी की सियासतें उसे बारहा यूँ निहार कर ।
कोई ले गया मेरा चाँद है मेरे आसमाँ से उतार कर ।।
अभी क्या करेगा तू जान के मेरी ख्वाहिशों का ये फ़लसफा ।
जरा तिश्नगी की खबर भी कर कोई शाम एक गुज़ार कर ।।
मेरी हर वफ़ा के जवाब में है सिला मिला मुझे हिज्र का ।
ये हयात गुज़री तड़प तड़प गये दर्द तुम जो उभार कर ।।
ये शबाब है तेरे हुस्न का या नज़र का मेरे फितूर है ।
खुले मैकदे तो बुला रहे तेरे तिश्ना लब को पुकार कर ।।
हैं विरासतों में तमाम गम मेरे सब्र का न ले इम्तिहाँ ।
जरा मुस्कुरा के तू पास आ मेरा खुशनुमा ये दयार कर ।।
जो निभा सके नहीं उम्र भर उसे दोस्ती का भी हक नहीं ।
वो तो फैसला ये सुना गया मुझे दुश्मनों में शुमार कर ।।
यहां बिक रहीं हैं मुहब्बतें है खरीदना तो खरीद ले।
तू वफ़ा की अब न तलाश में नई जिंदगी को निसार कर ।।
नये किस्म का है ये शह्र भी नए आशिकों का ये दौर है ।
कहीं लग न जाये नज़र तुम्हें न चलो यूँ जुल्फें सँवार कर।।
- नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित
हुई तीरगी की सियासतें उसे बारहा यूँ निहार कर ।
कोई ले गया मेरा चाँद है मेरे आसमाँ से उतार कर ।।
अभी क्या करेगा तू जान के मेरी ख्वाहिशों का ये फ़लसफा ।
जरा तिश्नगी की खबर भी कर कोई शाम एक गुज़ार कर ।।
मेरी हर वफ़ा के जवाब में है सिला मिला मुझे हिज्र का ।
ये हयात गुज़री तड़प तड़प गये दर्द तुम जो उभार कर ।।
ये शबाब है तेरे हुस्न का या नज़र का मेरे फितूर है ।
खुले मैकदे तो बुला रहे तेरे तिश्ना लब को पुकार कर ।।
हैं विरासतों में तमाम गम मेरे सब्र का न ले इम्तिहाँ ।
जरा मुस्कुरा के तू पास आ मेरा खुशनुमा ये दयार कर ।।
जो निभा सके नहीं उम्र भर उसे दोस्ती का भी हक नहीं ।
वो तो फैसला ये सुना गया मुझे दुश्मनों में शुमार कर ।।
यहां बिक रहीं हैं मुहब्बतें है खरीदना तो खरीद ले।
तू वफ़ा की अब न तलाश में नई जिंदगी को निसार कर ।।
नये किस्म का है ये शह्र भी नए आशिकों का ये दौर है ।
कहीं लग न जाये नज़र तुम्हें न चलो यूँ जुल्फें सँवार कर।।
- नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें