शान्ति
वह मिलती है क्या ?
अरबों रुपयों के गोल मॉल में ,?
उद्योगपतियों के
वैभवशाली परिवार में ?
दूरदर्शन पर प्रायोजित
महत्माओं की दूकान में ?
शायद वह वहाँ नहीं |
गलत है तलाश की दिशा !
अनंत अंधकार युक्त निशा |
तुम्हारी असंख्य इच्छाओं ने ,
जीवन की कुटिल धाराओं में |
कार कोठी बंगला ,
जिसे चाहा दिल से पुकारा |
वह सब कुछ मिल गया |
कामनाओं का कमल खिल गया |
.......तुमने !
एक बार भी उसे नहीं पुकारा !
......असीम
आनंद का कलश लिए
तुम्हारी निकटता पाने के लिए
बेचैन .......
प्रतीक्षारत नैन .....
उसकी ओर अपना मुँह
तुम्हारी शान्ति |
तुम्हारी शान्ति |
तुम्हारी शान्ति ||
प्रतीक्षा
वह मिलती है क्या ?
अरबों रुपयों के गोल मॉल में ,?
उद्योगपतियों के
वैभवशाली परिवार में ?
दूरदर्शन पर प्रायोजित
महत्माओं की दूकान में ?
शायद वह वहाँ नहीं |
गलत है तलाश की दिशा !
अनंत अंधकार युक्त निशा |
तुम्हारी असंख्य इच्छाओं ने ,
जीवन की कुटिल धाराओं में |
कार कोठी बंगला ,
जिसे चाहा दिल से पुकारा |
वह सब कुछ मिल गया |
कामनाओं का कमल खिल गया |
.......तुमने !
एक बार भी उसे नहीं पुकारा !
......असीम
आनंद का कलश लिए
तुम्हारी निकटता पाने के लिए
बेचैन .......
प्रतीक्षारत नैन .....
उसकी ओर अपना मुँह
फेरो तो सही |
उसकी भावनाओं को
उसकी भावनाओं को
समझो तो सही |
लेकर जीवन के
लेकर जीवन के
नव सृजन के कांति ,
मिलेगी तुम्हे
मिलन की व्याकुलता लिए ,मिलेगी तुम्हे
तुम्हारी शान्ति |
तुम्हारी शान्ति |
तुम्हारी शान्ति ||
प्रतीक्षा
चिर परिचित आँखें
अब वे धंस चुकी हैं
उनके गुलाबी होठों की लालिमा
अब बदल चुकी है |
काली कालिमा में
तेजहीन आकृति ,
और झुलसा रही हैं उसे
पश्चाताप की अग्नि |
एक गलती ....................
एच आई वी की एंट्री
विवश हो गयी अब
उत्सुकता के साथ साथ
अंत की प्रतीक्षा ||
अब वे धंस चुकी हैं
उनके गुलाबी होठों की लालिमा
अब बदल चुकी है |
काली कालिमा में
तेजहीन आकृति ,
और झुलसा रही हैं उसे
पश्चाताप की अग्नि |
एक गलती ....................
एच आई वी की एंट्री
विवश हो गयी अब
उत्सुकता के साथ साथ
अंत की प्रतीक्षा ||
नवीन
आपकी किसी पुरानी बेहतरीन प्रविष्टि की चर्चा मंगलवार २८/८/१२ को चर्चाकारा राजेश कुमारी द्वारा चर्चामंच पर की जायेगी मंगल वार को चर्चा मंच पर जरूर आइयेगा |धन्यवाद
जवाब देंहटाएंदोनों कवितायेँ बहुत बढ़िया हैं दूसरी कविता प्रतीक्षा तो दिल को विव्हल कर गई
जवाब देंहटाएंदोनों ही कवितायें बहुत ही सुन्दर हैं..
जवाब देंहटाएंदोनों ही कवितायें बहुत ही सुन्दर हैं..
जवाब देंहटाएंनवीन जी... दोनों ही कवितायेँ प्रभावशाती हैं... विशेषकर प्रथम रचना...शांति की तलाश में भटकता इन्सां खुद ही अशांति के वन् में भटकता रह जाता है..बहुत खूब!
जवाब देंहटाएंशांति की प्रतीक्षा सभी को है।
जवाब देंहटाएंसचेत करती अच्छी कविताएं।
बहुत सुन्दर भाई जान!
जवाब देंहटाएंdono kavitayein bahut acchi hain...pehle wali kavita say hume sach may sikhna chahiyee
जवाब देंहटाएंएक में शांति की खोज और एक में मृत्यु की...
जवाब देंहटाएंवाह, बहुत खूब !
एक गलती .. और शान्ति की खोल करती दोनों ही प्रभाव्शाली रचनाएं ...
जवाब देंहटाएंलाजवाब ...
शान्ति आपसी समझ में मिलती है ... फिर २ रूपये की चौकलेट भी भूख मिटा देती है
जवाब देंहटाएंएक गलती ....................
जवाब देंहटाएंएच आई वी की एंट्री
क्या बात है .....
ये गलतियां पछताने तक का मौका नहीं देतीं .....
प्रभावशाली एवं सशक्त कवितायेँ
जवाब देंहटाएंएक गलती ....................
जवाब देंहटाएंएच आई वी की एंट्री
विवश हो गयी अब
उत्सुकता के साथ साथ
अंत की प्रतीक्षा ||
truth of life .
bahut acchi abhiwayakti
जवाब देंहटाएंसुख और शांति अब बहुत ही कम लोगों के पास रह गई है...जिन्हें भौतिक सुख चाहिए उन्हें शांति कहाँ मिल सकती है...सुन्दर रचना के लिए साधुवाद..बधाई
जवाब देंहटाएंek galti uf kitni bhabhini prastut hai badhai
जवाब देंहटाएंjanmdin ki shubhkamna ke liye abhar
rachana
sundar sarthak post , sundar shabdo ka samavesh sundar rachna
हटाएंwaah bahut acchi rachna ....
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