14 सितम्बर हिंदी दिवस पर
हिंदी का सम्मान ना काटो|
मेरा हिंदुस्तान ना बाँटो ||
तुम भारत के जन नायक हो |
जन गन मन अधिनायक हो |
इस लोक तंत्र के दायक हो |
जन मानस के निर्णायक हो |
लोकतंत्र के इस उपवन से ,
भाषाओँ की डाल ना छांटो ||
हिंदी का सम्मान ना काटो
मेरा हिंदुस्तान ना बाँटो ||
यह देश टूटता जायेगा |
अपराध बोध हो जायेगा |
माथे कलंक लग जायेगा |
इतिहास शर्म दोहराएगा |
तुच्छ स्वार्थ के खातिर जग में
तीखा तीखा विष ना चाटो||
हिंदी का सम्मान ना काटो
मेरा हिंदुस्तान ना बाँटो ||
कलुषित क्षेत्रवाद को धोना |
बीज राष्ट्र वाद के बोना |
दूर रखो हर कर्म घिनौना |
हर भाषा का पुष्प पिरोना |
भारत माँ का माल्यार्पण कर
मन के कुटिल राग को डाटों ||
हिंदी का सम्मान ना काटो |
मेरा हिंदुस्तान ना बाँटो ||
हर भाषा के बलिदानी थे |
वे स्वतंत्रता के दानी थे |
भारत की अमर कहानी थे |
वे दुर्लभ राष्ट्र निशानी थे |
बहुत बनाई गहरी खाई |
शर्म करो जाओ तुम पाटो ||
हिंदी का सम्मान ना काटो |
मेरा हिंदुस्तान ना बाटो ||
हिंदी का सम्मान ना काटो|
मेरा हिंदुस्तान ना बाँटो ||
तुम भारत के जन नायक हो |
जन गन मन अधिनायक हो |
इस लोक तंत्र के दायक हो |
जन मानस के निर्णायक हो |
लोकतंत्र के इस उपवन से ,
भाषाओँ की डाल ना छांटो ||
हिंदी का सम्मान ना काटो
मेरा हिंदुस्तान ना बाँटो ||
यह देश टूटता जायेगा |
अपराध बोध हो जायेगा |
माथे कलंक लग जायेगा |
इतिहास शर्म दोहराएगा |
तुच्छ स्वार्थ के खातिर जग में
तीखा तीखा विष ना चाटो||
हिंदी का सम्मान ना काटो
मेरा हिंदुस्तान ना बाँटो ||
कलुषित क्षेत्रवाद को धोना |
बीज राष्ट्र वाद के बोना |
दूर रखो हर कर्म घिनौना |
हर भाषा का पुष्प पिरोना |
भारत माँ का माल्यार्पण कर
मन के कुटिल राग को डाटों ||
हिंदी का सम्मान ना काटो |
मेरा हिंदुस्तान ना बाँटो ||
हर भाषा के बलिदानी थे |
वे स्वतंत्रता के दानी थे |
भारत की अमर कहानी थे |
वे दुर्लभ राष्ट्र निशानी थे |
बहुत बनाई गहरी खाई |
शर्म करो जाओ तुम पाटो ||
हिंदी का सम्मान ना काटो |
मेरा हिंदुस्तान ना बाटो ||
बहुत बढ़िया.....
जवाब देंहटाएंफले फूले खिलखिलाए हमारी हिंदी....
सादर
अनु
बहुत उन्नत भाव बेहतरीन कविता हिंदी दिवस की बधाइयां
जवाब देंहटाएंnamaskaar naveen ji waah bahut hi sundar shabdo se aapne hindi ka maan badhaya , umda prastuti ,badhai
जवाब देंहटाएंवाह!
जवाब देंहटाएंआपकी इस ख़ूबसूरत प्रविष्टि को आज दिनांक 17-09-2012 को ट्रैफिक सिग्नल सी ज़िन्दगी : सोमवारीय चर्चामंच-1005 पर लिंक किया जा रहा है। सादर सूचनार्थ
जवाब देंहटाएंइस सुन्दर प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकारें.
कृपया मेरे ब्लॉग"meri kavitayen" की नवीनतम पोस्ट पर भी पधारें , आभारी होऊंगा.
संवाद वाहक बनी रहे हिन्दी..
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया.....
जवाब देंहटाएंsundar
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति , बधाई.
जवाब देंहटाएंकृपया मेरे ब्लॉग "प्रेम सरोवर" पर पधारकर मुझे प्रोत्साहित करें। धन्यवाद ।
वाह क्या बात है बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंकृपया इसे भी देखें
यात्रा-वृत्तान्त विधा को केन्द्र में रखकर प्रसिद्ध कवि, सम्पादक समीक्षक और यात्रा-वृत्तान्त लेखक डॉ. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी से लिया गया एक साक्षात्कार
http://thehinduvoice.blogspot.in/
जवाब देंहटाएंबहुत खूब
देश तो इन भाषाओं में कब का बट चुका है आज किसी से यदि भूले से भी अपने उसकी मातृ भाषा पूछली तो उसका जवाब सबसे वही आएगा जिस प्रांत को वो व्यक्ति हो मगर कोई भी सबसे पहले खुद को एक भारतीय मानकर हिन्दी को अपनी मातृ भाषा पहले नहीं बतायेगा लेकिन आज आपने हमारी हिन्दी के प्रति अपने प्रेम भाव को यहाँ बहुत ही खूबसूरती के साथ सजाया है आभार...
जवाब देंहटाएंबेहतर भाव पिरोये हैं इस रचना में ...!
जवाब देंहटाएं........ कविता हिंदी दिवस की बधाइयां!!!!
जवाब देंहटाएंहिन्दी का दर्जा दिन ब दिन कम होता जा रहा है , सरकार की उदासिनता का नतीजा है ।
जवाब देंहटाएंशानदार लेखन ।
बहुत अछि कविता त्रिपाठी जी.
जवाब देंहटाएं