हिंदी पखवाडा पर हिंदी को समर्पित अवधी भाषा में चार छंद
हिंद की शान की ताज बनी निज गौरव माँ बढ़ावत हिंदी |
सूर कबीर बिहारी के नवरस छंद का पान करवट हिंदी ||
तुलसी केहि मानस सागर में यह मोक्ष का ध्यान करावत हिंदी |
मीरा की भक्ति की प्रेम सुधा बन प्रेम की राह दिखावट हिंदी ||
निर्माणी है आयुध की अपनी पर ताल से ताल मिलावत हिंदी |
तकनीकी की सूक्ष्म से सूक्ष्म विधा जन मानस तक पहुचावत हिंदी ||
पृथ्वी अग्नि ब्रह्मोश के शब्द से दुश्मन को दहलावत हिंदी |
अर्जुन टंक पिनाका परम से ये देश की लाज बचावत हिंदी ||
देश के जंग की अंग बनी बलिदानी को मन्त्र बतावत हिंदी |
वीर शहीदों के फाँसी के तख़्त से भारत माँ को बुलावत हिंदी ||
जब देश के मान पे आंच पड़ी तब क्रांति बिगुल को बजावत हिंदी |
सोये हुए हर बूद लहू को वो अमृत धार पिलावत हिंदी ||
राष्ट्र की भाषा उपाधि मिली नहीं शर्म का बोध करावत हिंदी |
राज की भाषा की नाव नहीं यह राष्ट्र की पोत चलावत हिंदी ||
कुछ शर्म हया तो करो सबही करुणा कइके गोहरावत हिंदी |
भारत माँ की दुलारी लली केहि कारण मान ना पावत हिंदी ||
हिंद की शान की ताज बनी निज गौरव माँ बढ़ावत हिंदी |
सूर कबीर बिहारी के नवरस छंद का पान करवट हिंदी ||
तुलसी केहि मानस सागर में यह मोक्ष का ध्यान करावत हिंदी |
मीरा की भक्ति की प्रेम सुधा बन प्रेम की राह दिखावट हिंदी ||
निर्माणी है आयुध की अपनी पर ताल से ताल मिलावत हिंदी |
तकनीकी की सूक्ष्म से सूक्ष्म विधा जन मानस तक पहुचावत हिंदी ||
पृथ्वी अग्नि ब्रह्मोश के शब्द से दुश्मन को दहलावत हिंदी |
अर्जुन टंक पिनाका परम से ये देश की लाज बचावत हिंदी ||
देश के जंग की अंग बनी बलिदानी को मन्त्र बतावत हिंदी |
वीर शहीदों के फाँसी के तख़्त से भारत माँ को बुलावत हिंदी ||
जब देश के मान पे आंच पड़ी तब क्रांति बिगुल को बजावत हिंदी |
सोये हुए हर बूद लहू को वो अमृत धार पिलावत हिंदी ||
राष्ट्र की भाषा उपाधि मिली नहीं शर्म का बोध करावत हिंदी |
राज की भाषा की नाव नहीं यह राष्ट्र की पोत चलावत हिंदी ||
कुछ शर्म हया तो करो सबही करुणा कइके गोहरावत हिंदी |
भारत माँ की दुलारी लली केहि कारण मान ना पावत हिंदी ||
बहुत सुन्दर....
जवाब देंहटाएंहिंदी का मान बढाती रचना...
सादर
अनु
हिंदी के प्रति सदैव ही आदर के साथ|
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर हिन्दी भाषा को सदैव नमन
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूब!
जवाब देंहटाएंआपकी यह सुन्दर प्रविष्टि कल दिनांक 24-09-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-1012 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
बहुत सुंदर प्रस्तुति ... इस बात का अफसोस है कि अभी तक हिन्दी राष्ट्र भाषा का दर्जा हासिल नहीं कर पायी ।
जवाब देंहटाएंआदरणीय भाई नवीन जी हिंदी पर सुन्दर कविता |आभार
जवाब देंहटाएंतकनीकी की सूक्ष्म से सूक्ष्म विधा जन मानस तक पहुचावत हिंदी ||
जवाब देंहटाएंपृथ्वी अग्नि ब्रह्मोश के शब्द से दुश्मन को दहलावत हिंदी |
अर्जुन टंक(टैंक ) पिनाका परम से ये देश की लाज बचावत हिंदी ||.........टैंक
देश के जंग की अंग बनी बलिदानी को मन्त्र बतावत हिंदी |
वीर शहीदों के फाँसी के तख़्त से भारत माँ को बुलावत हिंदी ||
जब देश के मान पे आंच पड़ी तब क्रांति बिगुल को बजावत हिंदी |
सोये हुए हर बूद(बूँद ) लहू को वो अमृत धार पिलावत हिंदी ||...........बूँद
राष्ट्र की भाषा उपाधि मिली नहीं शर्म का बोध करावत हिंदी |
राज की भाषा की नाव नहीं यह राष्ट्र की पोत चलावत हिंदी ||
कुछ शर्म हया तो करो सबही करुणा कइके (करिके ) गोहरावत हिंदी |..............करिके
.....भारत माँ की दुलारी लली केहि कारण मान ना पावत हिंदी ||
भाव और अर्थ में अव्वल हैं चारों छंद .प्रबल राष्ट्र भावना से संसिक्त रचना .बधाई .
हृदयप्रिय हिन्दी..
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति |
जवाब देंहटाएंआशा
वाह ... बहुत ही बढिया।
जवाब देंहटाएंबहुत लाजबाब प्रस्तुति,,,बधाई स्वीकारे,,,, नवीन जी,,,
जवाब देंहटाएंहै जिसने हमको जन्म दिया ,हम आज उसे क्या कहते है\
क्या यही हमारा राष्ट्रवाद , जिसका पथ दर्शन करते है,
हे राष्ट्र्स्वामिनी निराश्रिता , परिभाषा इसकी मत बदलो,
हिन्दी है भारत की भाषा , हिन्दी को हिन्दी रहने दो,,,,,,
RECENT POST समय ठहर उस क्षण,है जाता,
नवीन भाई, सुंदर छंदों की रचना के लिये बधाई स्वीकार करें.
जवाब देंहटाएंदेश के जंग की अंग बनी बलिदानी को मन्त्र बतावत हिंदी ।
जवाब देंहटाएंवीर शहीदों के फाँसी के तख्त से भारत माँ को बुलावत हिंदी ।।
जब देश के मान पे आंच पड़ी तब क्रांति बिगुल को बजावत हिंदी ।
सोये हुए हर बूद लहू को वो अमृत धार पिलावत हिंदी ।।
हिंदी की अर्चना में सुंदर छंद।
हिन्दी पर ये आस्था बढ़ती रहे ...बहुत सुंदर लिखा है ....!!
जवाब देंहटाएंबधाई एवं शुभकामनायें ...
बहुत लाजबाब प्रस्तुति. हिंदी पखवाड़े में यह छंद हिंदी के प्रचार प्रसार में एक कदम है. बधाई.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर छंड हैं नवीन जी।
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत .......
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर............
हिंदी का मान बढाती रचना...
बहुत सुंदर प्रस्तुति। मेरे नए पोस्ट 'बहती गंगा" पर आपका इंतजार रहेगा। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत ,सुन्दर अभिव्यक्ति |
जवाब देंहटाएंराष्ट्र की भाषा उपाधि मिली नहीं शर्म का बोध करावत हिंदी |
जवाब देंहटाएंराज की भाषा की नाव नहीं यह राष्ट्र की पोत चलावत हिंदी ||
सुन्दर प्रस्तुति...हिंदी की इस महानता के बाद भी न जाने क्यों लोग इसे बोलने में शर्म महसूस करते हैं...
आदरणीय नवीन जी हिंदी के लिए आपका ये प्रयास अदभुत है आपने इस छंद के द्वारा
जवाब देंहटाएंहमारी आपकी एवं सारे हिंदुस्तानियों की पीड़ा को उद्धृत किया है
हर एक लाईन गहरी बात कह गई है
आपके इस सदप्रयास में हमारी भी आहुति हो
बहुत उम्दा छंद
हार्दिक बधाई
हिंदी पर बढ़िया छंद हैं .
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंकृपया आप इसे अवश्य देखें और अपनी अनमोल टिप्पणी दें
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