तीखी कलम से

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
जी हाँ मैं आयुध निर्माणी कानपुर रक्षा मंत्रालय में तकनीकी सेवार्थ कार्यरत हूँ| मूल रूप से मैं ग्राम पैकोलिया थाना, जनपद बस्ती उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ| मेरी पूजनीया माता जी श्रीमती शारदा त्रिपाठी और पूजनीय पिता जी श्री वेद मणि त्रिपाठी सरकारी प्रतिष्ठान में कार्यरत हैं| उनका पूर्ण स्नेह व आशीर्वाद मुझे प्राप्त है|मेरे परिवार में साहित्य सृजन का कार्य पीढ़ियों से होता आ रहा है| बाबा जी स्वर्गीय श्री रामदास त्रिपाठी छंद, दोहा, कवित्त के श्रेष्ठ रचनाकार रहे हैं| ९० वर्ष की अवस्था में भी उन्होंने कई परिष्कृत रचनाएँ समाज को प्रदान की हैं| चाचा जी श्री योगेन्द्र मणि त्रिपाठी एक ख्यातिप्राप्त रचनाकार हैं| उनके छंद गीत मुक्तक व लेख में भावनाओं की अद्भुद अंतरंगता का बोध होता है| पिता जी भी एक शिक्षक होने के साथ साथ चर्चित रचनाकार हैं| माता जी को भी एक कवित्री के रूप में देखता आ रहा हूँ| पूरा परिवार हिन्दी साहित्य से जुड़ा हुआ है|इसी परिवार का एक छोटा सा पौधा हूँ| व्यंग, मुक्तक, छंद, गीत-ग़ज़ल व कहानियां लिखता हूँ| कुछ पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होता रहता हूँ| कवि सम्मेलन के अतिरिक्त काव्य व सहित्यिक मंचों पर अपने जीवन के खट्टे-मीठे अनुभवों को आप तक पहँचाने का प्रयास करता रहा हूँ| आपके स्नेह, प्यार का प्रबल आकांक्षी हूँ| विश्वास है आपका प्यार मुझे अवश्य मिलेगा| -नवीन

रविवार, 23 दिसंबर 2012

गज़ल

मरहम  के लिए अब कोई सरकार  नहीं है ।
मजदूर  को  एहसान  की  दरकार  नहीं  है ।।

गुम  हो रहीं हैं अब तो  सहादत की फाइलें ।
ज़माने को अब तो  उनका ऐतबार  नहीं है ।।

क्यूँ शौक से पढ़ते मेरे दिल की किताब को ।
कुछ तो करो  जनाब  ये  अख़बार  नहीं  है ।।

कश्ती  के डूबने का फ़िक्र क्यूँ हुआ उनको  ।
सूखी नदी  में जब  यहाँ  मजधार  नहीं  है ।।

बिखरी हुई है लाली जो  होठों पे  उनके आज ।
अब  वक्त  का  उन्हें  भी  इंतजा
र  नहीं  है ।।

सहमी हुई कली है क्यों भौरों की  नजर से ।

मतलब के लिए प्यार का बाजार   नहीं है ।।


15 टिप्‍पणियां:

  1. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  2. वाह नवीन जी बहुत शानदार ग़ज़ल कही है दाद कबूल करें

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत अच्छी गज़ल नवीन जी...
    बढ़िया शेर!!

    सादर
    अनु

    जवाब देंहटाएं
  4. वाह ... बहुत खूब
    बेहतरीन प्रस्‍तुति

    जवाब देंहटाएं
  5. क्यूँ शौक से पढ़ते मेरे दिल की किताब को ।
    कुछ तो करो जनाब ये अख़बार नहीं है ...

    बहुत खूब ... सभी श्जेर लाजवाब ... सुभान अल्ला ...

    जवाब देंहटाएं
  6. बेहतरीन गज़ल ... आज के समय के लिए सटीक

    जवाब देंहटाएं
  7. सब के सब शेर एक पर एक..बहुत उम्दा ग़ज़ल.

    जवाब देंहटाएं
  8. आपकी यह प्रस्तुति अच्छी लगी। मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा। धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं