पिछले वर्ष मैंने की थी ,
मंगलमय वर्ष की कामना ।
पर ये कैसी विडम्बना !
वर्ष 2012 तुमसे क्या पूछना ?
लाख मिन्नतों के बाद भी तुमने ,
जरी रखा रंग बदलना ।
देश में भ्रष्टाचार की बुलंदियों पर
तिरंगा लहरा रहा है ।
देश का भ्रष्टाचारी,
अपनी सफलता पर इतरा रहा है ।
लोकपाल हो या काला धन
मसला गरम है ,
पर संसद नरम है ।
एफ डी आई पर सांसदों का बिकना ,
आरक्षण की आग पर
फिर से रोटियों को सेकना ।
असंवैधानिक तुष्टिकरण ।
किसानों का मृत्यु वरण ।
कानून मंत्री का
कानून भक्षकों को संरक्षण ।
और जाते जाते ,
पूरे देश की आँखों में आंशू दे गये ।
भारत की स्मिता बन चुकी दामिनी को
साथ ले गये ।
सन 12 तुम दामिनी के दागदार निकले
अपराधियों के वफादार निकले
हे वर्ष 2013 !
पिछले वर्षों की तरह कहीं तुम भी तो नहीं
लाज शर्म घोल के पी लोगे ।
एक शक ......
कहीं तुम भी ,
दगाबाज तो नहीं निकलोगे ?
अब मैं किस दिल से तुम्हारा स्वागत करूं ।
मै कैसे खुशियों की झोली भरूँ ।
गुजरे कुछ वर्षों से नववर्ष मंगलमय होने का
भरोसा टूटता जा रहा है ।
मानवता-संस्कार सब कुछ छूटता जा रहा है ।
हमारे प्रधानमंत्री फिर साल के अंत में बोलेंगे
" ठीक है "
न्याय पर अन्याय की जीत है ।
इन बलात्कारियों के परिवेश में
कहाँ मिलेगे मन के मीत ?
सन 13 .....!
तुम्हीं बताओ ?मंगलमय वर्ष की कामना ।
पर ये कैसी विडम्बना !
वर्ष 2012 तुमसे क्या पूछना ?
लाख मिन्नतों के बाद भी तुमने ,
जरी रखा रंग बदलना ।
देश में भ्रष्टाचार की बुलंदियों पर
तिरंगा लहरा रहा है ।
देश का भ्रष्टाचारी,
अपनी सफलता पर इतरा रहा है ।
लोकपाल हो या काला धन
मसला गरम है ,
पर संसद नरम है ।
एफ डी आई पर सांसदों का बिकना ,
आरक्षण की आग पर
फिर से रोटियों को सेकना ।
असंवैधानिक तुष्टिकरण ।
किसानों का मृत्यु वरण ।
कानून मंत्री का
कानून भक्षकों को संरक्षण ।
और जाते जाते ,
पूरे देश की आँखों में आंशू दे गये ।
भारत की स्मिता बन चुकी दामिनी को
साथ ले गये ।
सन 12 तुम दामिनी के दागदार निकले
अपराधियों के वफादार निकले
हे वर्ष 2013 !
पिछले वर्षों की तरह कहीं तुम भी तो नहीं
लाज शर्म घोल के पी लोगे ।
एक शक ......
कहीं तुम भी ,
दगाबाज तो नहीं निकलोगे ?
अब मैं किस दिल से तुम्हारा स्वागत करूं ।
मै कैसे खुशियों की झोली भरूँ ।
गुजरे कुछ वर्षों से नववर्ष मंगलमय होने का
भरोसा टूटता जा रहा है ।
मानवता-संस्कार सब कुछ छूटता जा रहा है ।
हमारे प्रधानमंत्री फिर साल के अंत में बोलेंगे
" ठीक है "
न्याय पर अन्याय की जीत है ।
इन बलात्कारियों के परिवेश में
कहाँ मिलेगे मन के मीत ?
सन 13 .....!
नववर्ष के आगमन पर
अब कौन लिखेगा मंगल गीत ?
अब कौन लिखेगा मंगल गीत ???
नवीन
मत लिखिए..नहीं लिख पायेंगे..सब मिल बस दुआ करें कि नववर्ष न लाये किसी दूसरे दामिनी के बलात्कार की खबर।
जवाब देंहटाएंसच बेहद दुखद ये घटना...आखिर कैसे लिखे कोई मंगल गीत।।।
जवाब देंहटाएंदिल्ली गैंगरेप की इस दुखद घटना पर मेरी नवीन प्रस्तुति देखें...
इस अत्यंत हृदयविदारक घटना के बाद सचमुच 'मंगलगीत' लिखने का साहस किसकी लेखनी कर पायेगी? प्रभु उसकी आत्मा को शांति प्रदान करें!
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही है नवीन जी...अब ऐसी परिश्तितियों में भला कोई कैसे नववर्ष बनाए .. भावपूर्ण रचना!
जवाब देंहटाएंएक दम सही नवीन जी ...इस बरस नव वर्ष मंगलमय हो ...कहने का मन ही नहीं है :(
जवाब देंहटाएंसच कहा है ... २०१३ का स्वागत कैसे होगा जब इतना कुछ झेला है २०१२ में ...
जवाब देंहटाएंअश्रुपूर्ण बिदाई है २०१२ की ...
सच, जाते जाते बहुत गहन दुःख दे गया वर्ष २०१२.. बहुत मर्मस्पर्शी रचना..
जवाब देंहटाएंनवीन जी आपने २०१२ का पूरा लेखा जोखा पेश कर दिया अपनी सुंदर कविता के माध्यम से. उम्मीद यही कर सकते हैं जो कुछ पिछले साल गुजरा इस साल इस सब से राहत रहे.
जवाब देंहटाएंनव वर्ष आपको मंगलमय हो और सभी के लिये कल्याणकारी हो.
ये नव वर्ष भी आज के नेताओं की तरह आता है नीं जी झूठे वादों के साथ और हर बार दगा दे कर चला जाता है ....
जवाब देंहटाएंऔर हम एक और झूठी आस में मुंह ताकने लगते हैं ....
♥(¯`'•.¸(¯`•*♥♥*•¯)¸.•'´¯)♥
♥नव वर्ष मंगलमय हो !♥
♥(_¸.•'´(_•*♥♥*•_)`'• .¸_)♥
हे वर्ष 2013 !
पिछले वर्षों की तरह कहीं तुम भी तो नहीं
लाज शर्म घोल के पी लोगे ।
एक शक ......
कहीं तुम भी ,
दगाबाज तो नहीं निकलोगे ?
यह तो वक़्त ही बताएगा !
आदरणीय नवीन मणि त्रिपाठी जी
नववर्ष के आगमन पर अब कौन लिखेगा मंगल गीत ... देखिए आगत का तो स्वागत है ...
आशाएं जीवित रहना बहुत आवश्यक है ।
# मतदान के समय हमें विगत वर्षों के बलात्कार कांड , तंदूर कांड , तेज़ाब कांड आदि आदि और इनसे जुड़े हुए अपराधी जो सत्ता का हिस्सा बने संसद और विधानसभाओं में हमारे सीनों पर सवार हैं , को याद रखना आता है तो नव वर्ष ही नहीं हर अगले पल के लिए मंगल गीत लिखे जा सकते हैं ...
हमें ही हल निकालना है अपनी मुश्किलात का
जवाब के लिए किसी सवाल को तलाश लो !
लहू रहे न सर्द अब उबाल को तलाश लो !
दबी जो राख में हृदय की ज्वाल को तलाश लो !
नव वर्ष की शुभकामनाओं सहित…
राजेन्द्र स्वर्णकार
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ab kisi ka intajaar kyon ..ab to hame hi likhna hoga mangal geet..nav varsh ki shubhkamnaye..
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंनब बर्ष (2013) की हार्दिक शुभकामना.
मंगलमय हो आपको नब बर्ष का त्यौहार
जीवन में आती रहे पल पल नयी बहार
ईश्वर से हम कर रहे हर पल यही पुकार
इश्वर की कृपा रहे भरा रहे घर द्वार.
नववर्ष के आगमन पर
जवाब देंहटाएंअब कौन लिखेगा मंगल गीत ?
अब कौन लिखेगा मंगल गीत ???
likhana to padega navvarsh ke liye nahi
hamare liye !
गया अमंगल,
जवाब देंहटाएंमंगल गल कर,
बिखर गया पर,
आर्तनाद में,
एक अबला के।
speechless.....very impressive!
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