डूब जाये ना ईमान का हौसला ,भ्रष्टता की लहर से बचा लीजिये |
खो ना जाए कहीं ये अमन की हवा ,अब झरोखों से परदे हटा लीजिये ||
मौत सस्ती है दंगों के बाजार मे , अर्थियाँ उठ रहीं उनके व्यापार में |
मंदिरों मे वही मस्जिदों मे वही , देश के राग मे स्वर मिला लीजिये ||
कट रहे सर शहीदों के शरहद पे अब ,जागना है जरूरी तो जागोगे कब |
एक हुंकार भर लो वतन के लिए ,कुछ सबक आज उनको सिखा दीजिये ||
आज गंगा ने आँसू को छलका दिया ,राह में उसके तुमने जहर भर दिया |
आ ना जाए यहाँ जलजला फिर कहीं ,उसकी पावन छटा को बढ़ा दीजिये ||
आज इंसानियत की नजर खो गई ,अब तो हैवानियत की निशा छा गई |
जो जलाता था दीपक सदा ज्ञान का ,डस गया है तिमिर उसको अज्ञान का |
ये तिरंगा झुके ना कभी देश का , ज्ञान का दीप घर मे जला लीजिये ||
नवीन मणि त्रिपाठी
खो ना जाए कहीं ये अमन की हवा ,अब झरोखों से परदे हटा लीजिये ||
मौत सस्ती है दंगों के बाजार मे , अर्थियाँ उठ रहीं उनके व्यापार में |
मंदिरों मे वही मस्जिदों मे वही , देश के राग मे स्वर मिला लीजिये ||
कट रहे सर शहीदों के शरहद पे अब ,जागना है जरूरी तो जागोगे कब |
एक हुंकार भर लो वतन के लिए ,कुछ सबक आज उनको सिखा दीजिये ||
आज गंगा ने आँसू को छलका दिया ,राह में उसके तुमने जहर भर दिया |
आ ना जाए यहाँ जलजला फिर कहीं ,उसकी पावन छटा को बढ़ा दीजिये ||
आज इंसानियत की नजर खो गई ,अब तो हैवानियत की निशा छा गई |
आत्मा दामिनी की सिहर सी गई ,फिर ना आए घड़ी वो दुआ कीजिये |।
जो जलाता था दीपक सदा ज्ञान का ,डस गया है तिमिर उसको अज्ञान का |
ये तिरंगा झुके ना कभी देश का , ज्ञान का दीप घर मे जला लीजिये ||
नवीन मणि त्रिपाठी
सब समझें और देश बचायें,
जवाब देंहटाएंअपने घर से आगे आयें।
देशप्रेम से ओतप्रोत बहुत सुंदर गजल ,,,
जवाब देंहटाएंस्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाए,,,
RECENT POST: आज़ादी की वर्षगांठ.
नवीन शुभप्रभात
जवाब देंहटाएंस्वतन्त्रता दिवस की
हार्दिक शुभकामनायें
बहुत बढ़िया.. स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएँ!
जवाब देंहटाएंखुबसूरत अभिवयक्ति...... आपको भी स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक मंगलकामनाएँ....
जवाब देंहटाएंसुन्दर आह्वान.
जवाब देंहटाएंदीवाने तो कभी ये झंडा झुकने नहीं देगे ... हां आज कल के नेता इसका अपमान जरूर कर रहे हैं हर पल ... देश प्रेम से ओत-प्रोत, प्रभावी गज़ल है ...
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