-----------------**गज़ल**-----------------
मिटने लगी हैं हस्तियाँ ,तेरे गुलाब में ।
मुझको दिखा है ईश्क भी ,अपने रुआब में।।
पीने की बात कर ना पिलाने की बातकर।
डूबा है बार -बार वो हुश्न ए शराब में ।।
जिनको यकीं है अपने तजुर्बे पे आज भी।
ढूँढा है कोहिनूर वही दिन के ख्वाब में ।।
उड़ती सी रंगतें ये असर का सबूत हैं ।
छिपता कहाँ ये ईश्क किसी के हिजाब में।।
ढूँढा तमाम उम्र नूर अहले चमन में ।
दिखने लगा है चाँद तुम्हारे नकाब में।।
निकले थे लफ्ज दिल से जुबाँ पे हुए कतल ।
लिख के जले हैं खत बहुत तेरे जबाब में ।।
बदली हुई सी कलियाँ बदले हुए से भौरे।
जब भी बहारें आयी थीं अपने शबाब में।।
तक़रीर जन्नतों की ,सुनाने से क्या मिला ।
बदली नियत कहाँ है ,खाना ए ख़राब में ।।
उम्मीद की थी जिस पे ,मुशीबत में होंगे साथ ।
अक्सर दिखे वो ,हड्डियाँ बन के कबाब में ।।
-- नवीन
मिटने लगी हैं हस्तियाँ ,तेरे गुलाब में ।
मुझको दिखा है ईश्क भी ,अपने रुआब में।।
पीने की बात कर ना पिलाने की बातकर।
डूबा है बार -बार वो हुश्न ए शराब में ।।
जिनको यकीं है अपने तजुर्बे पे आज भी।
ढूँढा है कोहिनूर वही दिन के ख्वाब में ।।
उड़ती सी रंगतें ये असर का सबूत हैं ।
छिपता कहाँ ये ईश्क किसी के हिजाब में।।
ढूँढा तमाम उम्र नूर अहले चमन में ।
दिखने लगा है चाँद तुम्हारे नकाब में।।
निकले थे लफ्ज दिल से जुबाँ पे हुए कतल ।
लिख के जले हैं खत बहुत तेरे जबाब में ।।
बदली हुई सी कलियाँ बदले हुए से भौरे।
जब भी बहारें आयी थीं अपने शबाब में।।
तक़रीर जन्नतों की ,सुनाने से क्या मिला ।
बदली नियत कहाँ है ,खाना ए ख़राब में ।।
उम्मीद की थी जिस पे ,मुशीबत में होंगे साथ ।
अक्सर दिखे वो ,हड्डियाँ बन के कबाब में ।।
-- नवीन
बहुत सुन्दर गज़ल हुई आदरणीय नवीन जी ,, हार्दिक बधाई
जवाब देंहटाएंबेहतरीन ग़ज़ल , धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
वाह ... उम्दा शेरों से सजी ग़ज़ल ...
जवाब देंहटाएंजो प्रणय देप ले कंटकों पर चले--वो मुसाफिर मिलेगा नहीं.
जवाब देंहटाएंभावों में पिरोयी हुई---