वे अंतस की पीर चेतना क्या समझेंगे ।
पल दो पल के मीत वेदना क्या समझेंगे।।
सागर के अंतर में जब हो अग्नि प्रज्ज्वलित।
मेघों को मधुमास करे जब भी आमन्त्रित।।
जब धरती भी गहन तपन से अति अकुलाए ।
जब पुष्पों की गन्ध भ्रमर को मद में लाए ।।
फिर नयनो से तीर भेदना क्या समझेंगे।
पल दो पल के मीत वेदना क्या समझेंगे ।।
पगडण्डी पर पथिक भटकता रोज यहाँ है।
सुखमय मायावी अवनी की खोज यहां है।।
नित चिरायु का राज ढूढ़ने चला मुसाफिर।
विमुख हो गया जीवन उत्सव जीने खातिर।।
प्रेम राग का गान छेड़ना क्या समझेंगे ।
पल दो पल के मीत वेदना क्या समझेंगे ।।
पंखहीन पंछी है मत अभिलाषा पूछो।
अंतहीन इच्छा की मत परिभाषा पूछो।।
तरुणाई अब बिक जाती चौराहो पर है।
फिर सौंदर्य परखा जाता श्रृंगारों पर है।।
वे नैनो की रीत देखना क्या समझेंगे।
पल दो पल के मीत वेदना क्या समझेंगे ।।
मनुहारों का वेग स्वप्न को तोड़ गया है ।
अनुरागों का प्रश्न हवा को मोड़ गया है।।
बन प्रस्तर की मूर्ति निरंतर पस्त पड़ा हूँ।
गरल हो गयी चाह निरूत्तर मौन खड़ा हूँ।।
वे अलकों पर हाथ फेरना क्या समझेंगे।
पल दो पल के मीत वेदना क्या समझेंगे ।।
-नवीन मणि त्रिपाठी
पल दो पल के मीत वेदना क्या समझेंगे।।
सागर के अंतर में जब हो अग्नि प्रज्ज्वलित।
मेघों को मधुमास करे जब भी आमन्त्रित।।
जब धरती भी गहन तपन से अति अकुलाए ।
जब पुष्पों की गन्ध भ्रमर को मद में लाए ।।
फिर नयनो से तीर भेदना क्या समझेंगे।
पल दो पल के मीत वेदना क्या समझेंगे ।।
पगडण्डी पर पथिक भटकता रोज यहाँ है।
सुखमय मायावी अवनी की खोज यहां है।।
नित चिरायु का राज ढूढ़ने चला मुसाफिर।
विमुख हो गया जीवन उत्सव जीने खातिर।।
प्रेम राग का गान छेड़ना क्या समझेंगे ।
पल दो पल के मीत वेदना क्या समझेंगे ।।
पंखहीन पंछी है मत अभिलाषा पूछो।
अंतहीन इच्छा की मत परिभाषा पूछो।।
तरुणाई अब बिक जाती चौराहो पर है।
फिर सौंदर्य परखा जाता श्रृंगारों पर है।।
वे नैनो की रीत देखना क्या समझेंगे।
पल दो पल के मीत वेदना क्या समझेंगे ।।
मनुहारों का वेग स्वप्न को तोड़ गया है ।
अनुरागों का प्रश्न हवा को मोड़ गया है।।
बन प्रस्तर की मूर्ति निरंतर पस्त पड़ा हूँ।
गरल हो गयी चाह निरूत्तर मौन खड़ा हूँ।।
वे अलकों पर हाथ फेरना क्या समझेंगे।
पल दो पल के मीत वेदना क्या समझेंगे ।।
-नवीन मणि त्रिपाठी
very well written . hats off to u .. plz do visit ::
जवाब देंहटाएंAcid :: Dilute or Concentrated ????? ( ब्लॉग ) :: http://swapnilsaundaryaezine.blogspot.in/2015/03/acid-dilute-or-concentrated.html
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स्वप्निल सौंदर्य ई-ज़ीन ( ब्लॉग ) :: http://swapnilsaundaryaezine.blogspot.in/2015/03/swapnil-saundarya-e-zine-vol-02-issue_25.html
आदरणीया स्वप्निल शुक्ला जी आभार
हटाएंfb pr
naveentripathi35@gmail.com pr aapki prteeksha rahegi
आदरणीया स्वप्निल शुक्ला जी आभार
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हृदय स्पर्शी विरह रचना...!
जवाब देंहटाएंआदरणीया कुमकुम त्रिपाठी जी सादर आभार
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