तीखी कलम से

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जी हाँ मैं आयुध निर्माणी कानपुर रक्षा मंत्रालय में तकनीकी सेवार्थ कार्यरत हूँ| मूल रूप से मैं ग्राम पैकोलिया थाना, जनपद बस्ती उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ| मेरी पूजनीया माता जी श्रीमती शारदा त्रिपाठी और पूजनीय पिता जी श्री वेद मणि त्रिपाठी सरकारी प्रतिष्ठान में कार्यरत हैं| उनका पूर्ण स्नेह व आशीर्वाद मुझे प्राप्त है|मेरे परिवार में साहित्य सृजन का कार्य पीढ़ियों से होता आ रहा है| बाबा जी स्वर्गीय श्री रामदास त्रिपाठी छंद, दोहा, कवित्त के श्रेष्ठ रचनाकार रहे हैं| ९० वर्ष की अवस्था में भी उन्होंने कई परिष्कृत रचनाएँ समाज को प्रदान की हैं| चाचा जी श्री योगेन्द्र मणि त्रिपाठी एक ख्यातिप्राप्त रचनाकार हैं| उनके छंद गीत मुक्तक व लेख में भावनाओं की अद्भुद अंतरंगता का बोध होता है| पिता जी भी एक शिक्षक होने के साथ साथ चर्चित रचनाकार हैं| माता जी को भी एक कवित्री के रूप में देखता आ रहा हूँ| पूरा परिवार हिन्दी साहित्य से जुड़ा हुआ है|इसी परिवार का एक छोटा सा पौधा हूँ| व्यंग, मुक्तक, छंद, गीत-ग़ज़ल व कहानियां लिखता हूँ| कुछ पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होता रहता हूँ| कवि सम्मेलन के अतिरिक्त काव्य व सहित्यिक मंचों पर अपने जीवन के खट्टे-मीठे अनुभवों को आप तक पहँचाने का प्रयास करता रहा हूँ| आपके स्नेह, प्यार का प्रबल आकांक्षी हूँ| विश्वास है आपका प्यार मुझे अवश्य मिलेगा| -नवीन

मंगलवार, 27 अक्तूबर 2015

तेरी चाहत में सनम दूर तक बदनाम हुआ ।


तेरी जुल्फों से आज मैं भी  कत्लेआम  हुआ ।
तेरी चाहत में सनम दूर तक  बदनाम  हुआ।।

तू  मुहब्बत  है  मेरे  रूह   के  तस्सवुर   की ।
ख़ास चर्चा तेरी महफ़िल में सुबहो शाम हुआ।।

मिटी  है  हस्तियां  जब  भी  उठी  नजर तेरी ।
झुकी पलक तो  नजारो  से  इंतकाम  हुआ ।।

आबनूसी  है  तेरे   गेसुओं   की   यह   रंगत ।
जहाँ बिखरे हैं वही शब्  का  इंतजाम  हुआं ।।

ये  नज़ाकत  ये  नफ़ासत  ये  हिमाक़त तुझमें ।
मेरे  महबूब  बता  मुझ पे  क्यों इल्जाम  हुआ।।

तेरी  अदा  की  खुशबुओं  से  मचलता  है शहर ।
मेरा   किस्सा  मेरी  खता  पे  क्यूँ  तमाम  हुआ ।।

               --नवीन मणि त्रिपाठी

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