-----ग़ज़ल ------
फना के बाद भी मेरा पता लेकर गया कोई ।
कब्र पे आशिक़ी का कुछ सिला देकर गया कोई ।।
हरे है जख्म वो सारे वो यादेँ भी जवां अब तक ।
दर्द की बेसुमारी पर यहाँ रोकर गया कोई ।।
जूनूने ख्वाब था या फिर हकीकत थी खुदा जाने ।
गुलशन ए इश्क के दर से दफा होकर गया कोई ।।
आसमा की बुलंदी से हसरतों ने कहा हमसे ।
ज़मी पर आ रही हूँ मैं लगा ठोकर गया कोई ।।
हरम की किस्मतों में इश्क लिक्खा ही नहीं जाता।
आरजू ने जो घर माँगा वहां सोकर गया कोई ।।
हमारे अंजुमन की दास्ताँ न पूछ ऐ हमदम ।
यहाँ मतलब परस्ती में वफ़ा खोकर गया कोई ।।
- नवीन मणि त्रिपाठी
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