दाग दामन का छुपाने का हुनर देख लिया ।
आग सावन में लगाने का असर देख लिया ।।
बड़ी कमसिन हो हिमाकत तेरी तौबा तौबा ।
फिर क़यामत को बुलाने का जिगर देख लिया ।।
हुए हैं हुश्न के सजदे तेरी बलाओं से ।
नज़र नज़र से पिलाने का शहर देख लिया ।।
वो समंदर है मेरा डूबना भी मुमकिन था ।
तेज लहरों में समाने का कहर देख लिया ।।
मेरे सहन से वो गुजरा है अजनवी की तरह ।
उसकी आँखों में जलाने का जहर देख लिया ।।
तेरे वादों से इल्तज़ा थी मुहब्बत की उसे ।
गैर से वक्त बिताने का पहर देख लिया ।।
नवीन
वो समंदर है मेरा डूबना भी मुमकिन था ।
जवाब देंहटाएंतेज लहरों में समाने का कहर देख लिया ।।
मेरे सहन से वो गुजरा है अजनवी की तरह ।
उसकी आँखों में जलाने का जहर देख लिया ।।
..बहुत सुन्दर ...
sundar gajal hai badhai
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